अरुण त्रिपाठी/उमरिया: जिले के सघन वन और शुद्ध पर्यावरण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध (world famous) है. प्राकृतिक झरने, सघन वन, जलस्त्रोत, पहाड़ और नदियों के समागम से उमरिया (umaria) जिले की जलवायु पूरी दुनिया मे मानव सहित जीव जंतुओं के जीवन के लिए उत्कृष्ट मानी गई है. खास बात यह है कि यहां के पर्यावरण (environment) को सरंक्षित करने का काम जितना प्रकृति अपने प्राकृतिक स्रोतों से करती है. उतना ही प्रकृति पर्यावरण का सरंक्षण जिले के ग्रामीण अंचल के निवासी करते हैं.


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एक बड़ा उदाहरण है जिले के आकाशकोट अंचल की तराईयों में आबाद पतलेश्वर धाम का जहां दो गांव के ग्रामीणों ने मिलकर पहाड़ी क्षेत्र जो बंजर था. उसमें 20 हेक्टेयर के क्षेत्र में औषधीय वृक्षो का जंगल खड़ा कर दिया है. जिले के ग्राम अमुआरी और तुम्मादर के ग्रामीणों ने जंगल को बचाने की दिशा में तकरीबन दो दशक पूर्व यह प्रयास शुरू किया था. जिसका परिणाम सबके सामने है.


धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से है बेहद खास
वर्तमान में पतलेश्वर धाम के नाम से मशहूर यह स्थान अब धार्मिक आस्था और पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित हो चुका है. पहाड़ की तराई पर लगाये गए औषधीय वृक्षों की जड़ों से जल की एक धारा भी प्रवाहित होती है. जिसे लोग नर्मदा नदी का अंश मानते हैं. यहां भगवान शिव और हनुमान की प्रतिमा के साथ साथ दो बड़े तालाबो का भी निर्माण कराया है. जिसके पतलेश्वर धाम का दृश्य अत्यंत रोमांचकारी हो जाता है. यहां शहडोल उमारिया डिंडोरी के अलावा प्रदेश के अन्य कई जिलों के लोग धार्मिक और पर्यावरण पर्यटन के दृष्टिकोण से आते हैं,


प्रकृति पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग पर पर मानव जीवन का जितना हक है. उतनी ही जिम्मेदारी इसे बचाने और सरंक्षित करने की भी मानव समाज की ही है. यही संदेश ग्राम अमुआरी और तुम्मादर के ग्रामीणों ने दुनिया को दिया है. सरकारी प्रयास के साथ-साथ प्रकृति पर्यावरण के सरंक्षण के लिए पतलेश्वर धाम की तर्ज पर अगर लोग सामुदायिक भावना से सामने आए तो प्रकृति पर्यावरण के विनाश के सारे दरवाजे अपने आप बंद हो जाएंगे.


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