राजनांदगांव: छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश सीमा पर गातापार थाना इलाके के मलैदा के जंगल में डेरा जमाए नक्सलियों से शुक्रवार सुबह पुलिस की मुठभेड़ हो गई. इस दौरान नक्सली तो भाग गए, लेकिन पुलिस ने बड़ी मात्रा में नक्सली सामान बरामद किए हैं.


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एएसपी (नक्सल प्रकोष्ठ) वाई.पी. सिंह ने बताया, "पुलिस को सूचना मिली थी कि गातापार थाना क्षेत्र के भावे से लगे मलैदा के जंगल में नक्सली शिविर लगाकर मौजूद हैं. सूचना के बाद शुक्रवार तड़के पुलिस टीम जंगल की ओर रवाना हुई और सुबह लगभग 8.30 बजे उसकी नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई. दोनों ओर से हुई गोलीबारी के बाद नक्सली जंगल की ओर भाग गए. बाद में तलाशी के दौरान पुलिस ने बड़ी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद की है."


सिंह ने कहा, "गोंदिया राजनांदगांव बालाघाट डिविजन (जीआरबी) के करीब 40 से 45 नक्सली मलैदा इलाके में बैठक कर रहे थे. लेकिन सुरक्षाबलों की सक्रियता से उनको मौके से भागना पड़ा." यह नक्सल कैंप 5 अस्थाई टेंटों से बना हुआ था. यहां से राशन, पानी के टैंक,एक लैपटॉप, प्रिंटर, सोलर एनर्जी प्लेट्स आदि बरामद हुआ. अभी भी इलाके की सघन तलाशी की जा रही है.



पुलिस ने इस मुठभेड़ में किसी नक्सली के मारे जाने का दावा नहीं किया है, लेकिन मुठभेड़ के बाद बड़ी मात्रा में नक्सल सामग्री बरामद करने में सफलता जरूर मिली है. ऐसा माना जा रहा है कि टांडा एरिया कमिटी मेंबर सीनियर सीपीआई माओइस्ट कमांडर जमुना इस इलाके में 25 से 40 नक्सलियों के साथ मौजूद था जब सुरक्षाबलों ने इस कैंप पर दबिश दी. यहां से एक क्लेमोर माइन और दो प्रेशर कुकर आईईडी भी बरामद की गई है. एनकाउंटर जहां हुआ वह क्षेत्र चारों ओर से बीहड़ जंगलों से घिरा हुआ है और छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है.



दरअसल घने जंगलों के कारण इस इलाके में बड़े नक्सली कमांडर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाने के लिए इसका आवागमन प्वाइंट के रूप में इसका इस्तेमाल करते रहे होंगे. यह भी माना जा रहा है कि सुरक्षाबलों के ज्यादा दबाव बढ़ने के कारण नक्सली राज्यों की सीमाओं पर ज्यादा केंद्रित होने लगे हैं जहां धरातलीय परिस्थितियां विषम हैं और किसी भी प्रकार की परिस्थिति से बच निकलने के लिए पर्याप्त जंगल और बीहड़ भौगोलिक परिस्थितियां विद्यमान हैं.


पुलिस बरामद सामग्री की सूची तैयार करने में जुटी है. नक्सलियों के दैनिक उपयोग की सामग्री के अलावा उनकी किताबें, डायरियां, बैग, दवाएं और राशन बरामद किए गए हैं. सिंह ने कहा कि सुरक्षाबल फिलहाल जंगल में ही है और वे आसपास के इलाके की तलाशी में जुटे हुए हैं.


अमूमन यह वही समय है जब नक्सली बरसात  मौसम के बाद पुनः एकत्रित होकर अगले 3 महीनों के लिए अपने नवीन कैडरों को प्रशिक्षित करते हैं और 3 महीने के बाद मार्च-अप्रैल के महीने में सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमले किया करते हैं. दोनों राज्यों में नई सरकारें बनने के बाद इस क्षेत्र में इस प्रकार सुरक्षा बलों द्वारा नक्सल कैंप को नष्ट करने की यह पहली घटना है.


(इनपुट-आईएनएस से भी)