रोहतांग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार सबुह 11 बजे हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में बने 'अटल टनल' का उद्घाटन कर दिया. यह समुद्र तल से 10040 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ काटकर बनाई गई दुनिया की सबसे लगी सुरंग है. इस टनल के जरिए मनाली से केलांग की दूरी सिर्फ डेढ़ घंटे में पूरी हो सकेगी. अटल टनल का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है. आज सिर्फ अटल जी का ही सपना पूरा नहीं हुआ है बल्कि हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है. मेरा सौभाग्य है कि मुझे आज ''अटल टनल'' के लोकार्पण का अवसर मिला.


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अटल टनल बनाने वालों को पीएम मोदी ने किया नमन
प्रधानमंत्री मोदी ने इस टनल को बनाने वाले इंजीनियरों, मजदूरों, बीआरओ जवानों को भी शाबाशी दी. उन्होंने कहा, ''अक्सर लोकार्पण की चकाचौंध में वो लोग कहीं पीछे रह जाते हैं, जिनके परिश्रम से ये सब संभव हुआ है. अभेद्य पीर-पंजाल को भेदकर एक बहुत कठिन संकल्प को आज पूरा किया गया है. इस महायज्ञ में अपना पसीना बहाने वाले, अपनी जान जोखिम में डालने वाले, मेहनतकश जवानों, इंजीनियरों और मजदूर भाई बहनों को मैं नमन करता हूं.'' पीएम ने कहा, ''लेह, लद्दाख के किसानों, बागवानों और युवाओं के लिए भी अब देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे बाजारों तक पहुंच आसान हो जाएगी. इस टनल से मनाली और केलांग के बीच की दूरी 3-4 घंटे कम हो ही जाएगी. पहाड़ के मेरे भाई-बहन समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3-4 घंटे की दूरी कम होने का मतलब क्या होता है.''


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कांग्रेस सरकारों को आईना दिखाना नहीं भूले पीएम मोदी
इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों को आईना दिखाना भी नहीं भूले. उन्होंने कहा, ''हमेशा से यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की मांग उठती रही है. लेकिन लंबे समय तक हमारे यहां बॉर्डर से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग की स्टेज से बाहर ही नहीं निकल पाए या जो निकले वो अटक गए, लटक गए, भटक गए. भारत के बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को नई ताकत देने वाली है. ये विश्व स्तरीय बॉर्डर कनेक्टिविटी का जीता-जागता उदाहरण है. हिमालय का हिस्सा हो, पश्चिम भारत में रेगिस्तान का विस्तार हो या दक्षिण व पूर्वी भारत का तटीय इलाका, ये देश की सुरक्षा और समृद्धि के बड़े संसाधन है.''


बारह वर्षों में सिर्फ 1300 मीटर का काम हुआ था:मोदी
उन्होंने कहा, ''साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था. अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया. हालात ये थी कि साल 2013-14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था. एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती. आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता. जब विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ना हो, जब देश के लोगों के विकास की प्रबल इच्छा हो, तो रफ्तार बढ़ानी ही पड़ती है. अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई.''


सिर्फ 6 साल में 26 साल का काम पूरा हुआ है: पीएम
पीएम मोदी ने कहा, ''नतीजा ये हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई. सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया. अटल टनल की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया. लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-45 साल तक बंद रही. क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था? साल 2005 में ये आकलन किया गया था कि ये टनल लगभग 950 करोड़ रुपये में पूरी हो जाएगी. लेकिन लगातार होने वाली देरी के कारण ये तीन गुना से भी ज्यादा, यानी करीब 3200 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद पूरी हुई है. कल्पना कीजिए कि 20 साल और लग जाते तो क्या स्थिति होती.'' 


देश हित से बड़ा हमारे लिए कुछ नहीं है: पीएम मोदी
अपनी सरकार की उपब्धियां गिनाते हुए पीएम मोदी ने कहा, ''बीते 6 वर्षों में पुरानी स्थिति को बदलने की दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किया गया है. हिमालय क्षेत्र में, चाहे वो जम्मू-कश्मीर हो, कारगिल, लेह लद्दाख हो, उत्तराखंड हो या सिक्किम हो, अनेकों प्रोजेक्ट्स पूरे किए जा चुके हैं और दर्जनों प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है. हमारी सरकार के फैसले साक्षी हैं कि जो कहते हैं, वो करके दिखाते हैं. देश हित से बड़ा, देश की रक्षा से बड़ा हमारे लिए और कुछ नहीं. लेकिन देश ने लंबे समय तक वो दौर भी देखा है जब देश के रक्षा हितों के साथ समझौता किया गया. बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए पूरी ताकत लगा दी गई है. सड़क बनाने का काम हो, पुल बनाने का काम हो, सुरंग बनाने का काम हो, इतने बड़े स्तर पर देश में पहले कभी काम नहीं हुआ.


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