MP: सावरकर की फोटो लगी कॉपियां बांटने के मामले में शिक्षक हुए निलंबित, मचा बवाल
सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल आरएन केरावत पर हुई कार्रवाई की वजह NGO द्वारा कॉपियां बांटना है. जिस पर वीर सावरकर और बीजेपी नेताओं की फोटो थी.
चंद्रशेखर सोलंकी/रतलाम: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के रतलाम में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक के सस्पेंशन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मलवासा गांव में सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल आरएन केरावत को शिक्षा विभाग ने सस्पेंड कर दिया. इस कार्रवाई के खिलाफ कर्मचारी संगठन ने मोर्चा खोल दिया है. और आरएन केरावत की बहाली की मांग की है.
सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल आरएन केरावत पर हुई कार्रवाई की वजह NGO द्वारा कॉपियां बांटना है. जिस पर वीर सावरकर और बीजेपी नेताओं की फोटो थी. इसी कारण केरावत को निलंबित कर दिया गया. वहीं कार्रवाई से नाराज़ कर्मचारी संगठन राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक केरावत को बहाल करने की मांग कर रहे हैं. संयुक्त मोर्चा सहित मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ प्रिंसिपल के समर्थन में आ गए हैं. संघ ने इस निलंबन को गलत बताया है.
बताया जा रहा है कि कॉपियों का वितरण वीर सावरकर हितार्थ जनकल्याण समिति ने निःशुल्क किया था, दरअसल जिस समिति ने स्कूल में कॉपियां बांटी थी, उसके पदाधिकारी बीजेपी समर्थक हैं. समिति ने ही कॉपी वितरण के फोटो और जानकारी फेसबुक पर अपलोड की थी.
कमलनाथ विचार सद्भावना मंच के जिलाध्यक्ष इंदर सोनी ने फेसबुक पर फोटो और जानकारी देख प्रदेश कांग्रेस आइटी सेल को जानकारी दी. इस पर भोपाल से कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी से जानकारी तलब की गई. जिला शिक्षा अधिकारी ने 13 नंवबर को प्राचार्य केरावत से बिना अनुमति कॉपी वितरण कराने पर जवाब मांगा. प्राचार्य ने जवाब में छात्रहित में कॉपियां बंटवाने की बात कही. इस जवाब के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया.
वहीं ज़ी मीडिया से बात करते हुए प्रिंसिपल आर एन केरावत ने बताया कि कॉपियां नवंबर में बांटी गई थी लेकिन मामले की शिकायत बाद में की गई और कलेक्टर के आदेश पर अब कार्रवाई की है.
आपको बता दें कि प्रिंसिपल को नवाचार के लिए 2011 में राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है, प्राचार्य आर एन केरावत गणित के विशेषज्ञ हैं. वे राज्य स्तर पर भी राज्यपाल की ओर से सम्मानित हो चुके हैं. खास बात यह है कि शासन के मिशन समर्थ अभियान में एलईडी के माध्यम से केरावत के 36 वीडियो से ही 25 स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है.
(संपादन - नैंसी श्रीवास्तव)