इंदौर: मशहूर शायर और उर्दू के हस्ताक्षर राहत इंदौरी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. राहत की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. जिसके बाद उन्हें अरबिंदो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने हॉस्पिटल में भर्ती होते वक्त कोरोना पॉजिटिव होने की खबर ट्वीट की थी. 


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मुफ़लिसी में गुज़रा बचपन,बड़े हुए तो दिलों पर राज़ किया... 


राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर में हुआ था. उनका बचपन का नाम कामिल था जो बाद में राहतउल्ला कुरैशी हुआ लेकिन दुनिया में पहचान डॉ. राहत इंदौरी के नाम मिली. उनके पिता का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी जो कपड़ा मिल के कर्मचारी थे, उनकी माता का नाम मकबूल उन्निसा बेगम था. राहत दो बार शादी की. उनकी पत्नियों के नाम अंजुम रहबर (1988-1993), सीमा राहत है. उनके बेटों का नाम फ़ैसल राहत, सतलज़ राहत और उनकी बेटी का नाम शिब्ली इरफ़ान है.


राहत की प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई. उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1975 में बरकत उल्लाह विश्वविद्यालय भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया. इसके बाद 1985 में मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की.


राहत इंदौरी ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य के प्राध्यापक भी रह चुके हैं. उन्होने महज 19 वर्ष की उम्र में उन्होने शेर पेश करने शुरू कर दिये थे. देश- विदेश में उनकी शायरी के बहुत से मुरीद हैं.


राहत इंदौरी ने सियासत और मोहब्बत दोनों पर बराबर हक़ और रवानगी के साथ शेर कहे. राहत मुशायरों में एक खास अंदाज़ में ग़म-ए-जाना (प्रेमिका के लिए) के शेर कहने के लिए जाने जाते हैं. उनका उर्दू में किया गया रिसर्च वर्क भी उर्दू साहित्य की धरोहर है. 


शुरुआत में इंदौरी पेंटर हुआ करते थे. मालवा मिल क्षेत्र में साइन बोर्ड बनाया करते और कुछ-कुछ लिख कर यार-दोस्तों में सुनाते रहते. पहली बार उन्होंने रानीपुरा में मुशायरा पढ़ा था. यहां स्थित बज़्म-ए-अदब लाइब्रेरी में अक्सर मुशायरे की महफ़िल सजा करती, राहत भी पहुंच जाते थे. एक तरफ बैठ सुनते-गुनते रहते थे. एक दिन वहां मौजूद एक शायर की नजर उन पर पड़ गई.


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राहतउल्ला कुरैशी मंच पर बुला लिया और कहा कि आज तुम्हें मुशायरा पढ़ना है, फिर क्या था! उन्होंने वो शेर सुनाए कि लोग उनके कायल हो गए. रानीपुरा-मालवा मिल से बढ़ते-बढ़ते पूरा शहर, देश, दुनिया उनके चाहनेवालों में शामिल हो गया. शुरुआत में वे रानीपुरा में एक दुकान पर बैठा करते थे, तब ही मकबूल हो गए थे.


हजारों शेर तो ज़बानी याद हैं जनाब! 


राहत का एक किस्सा बड़ा मशहूर है। एक बार इंदौर में मुशायरा हुआ। देश के बड़े मकबूल शायर आए। राहत एक बड़े शायर के पास डरते-डरते पहुंचे। ऑटोग्राफ देने की दरख्वास्त की, ऑटोग्राफ बुक आगे बढ़ा दी। एक ख़्वाहिश भी ज़ाहिर कर दी`शायर बनना चाहता हूं, क्या करूं? कैसे बन सकता हूं?...` बड़े शायर का जवाब आया-मियां, पहले तो 5 हजार शेर याद कर लो, फिर शायर बनने की दिशा में आगे बढ़ना। राहत का फट से जवाब आया- जनाब! इससे ज़्यादा तो अभी याद हैं। बड़े शायर ने कहा तो देर क्या शुरू हो जाइए...  


राहत इंदौरी अपने बेबाक अंदाज़ और बेहतरीन शायरी के लिए जाने जाते रहे हैं. वो हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बहुत मक़बूल रहे हैं. 


दो गज़ सही मगर यह मेरी मिल्कियत तो है
ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया


हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे 
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते 


शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम 
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे 


आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो 
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो 


बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर 
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ 


मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया 
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए 


लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है


हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है


सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.


मैं जानता हूँ कि दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है.


फ़िल्मों में आए राहत के वो बेहतरीन गाने जिन्हें आपने कभी न कभी गुनगुनाया होगा....


1. आज हमने दिल का हर किस्सा (फ़िल्म- सर)
2. तुमसा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है (फ़िल्म- खुद्दार)
3. खत लिखना हमें खत लिखना (फ़िल्म- खुद्दार)
4. रात क्या मांगे एक सितारा (फ़िल्म- खुद्दार)
5. दिल को हज़ार बार रोका (फ़िल्म- मर्डर)
6. एम बोले तो मैं मास्टर (फ़िल्म- मुन्नाभाई एमबीबीएस)
7. धुंआ धुंआ (फ़िल्म- मिशन कश्मीर)
8. ये रिश्ता क्या कहलाता है (फ़िल्म- मीनाक्षी)
9. चोरी-चोरी जब नज़रें मिलीं (फ़िल्म- करीब)
10. देखो-देखो जानम हम दिल (फ़िल्म- इश्क़)
11. नींद चुरायी मेरी (फ़िल्म- इश्क़)
12. मुर्शिदा (फ़िल्म – बेगम जान)