``नेता तो यहां आते हैं, लेकिन फसल नुकसान पर जाने कहां चले जाते हैं?``- रतलाम किसान
रतलाम जिले के शिवपुर में पहले तो बारिश में देरी हुई, जिससे आधी सोयाबीन फसल खराब हो गई और बची हुई में फसल में फफूंद लग गई. कोई किसान हेलोजन से गर्मी कर फसल को सूखा रहा है, तो कोई किसान सोयाबीन के दानों को हवा से सुखाकर फफूंद दूर करने का प्रयास कर रहा है.
चन्द्रशेखर सोलंकी/रतलामः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कहते है कि राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है, तो वहीं कांग्रेस कह रही है कि वो किसानों की लड़ाई में हर कदम पर साथ खड़ी है. जिस तरह दोनों प्रमुख राजनीतिक दल किसानों के हित के लिए काम कर रहे है, उस तरह से तो किसानों को दोहरा लाभ मिल चाहिए था. लेकिन रतलाम जिले के किसानों का दर्द कुछ अलग ही कहानी बयां करता है. उनकी सोयाबीन की फसल बारिश नहीं होने से बर्बाद हो चुकी है, लेकिन किसी नेता या पार्टी को उनका साथ नहीं मिला है. यहां तक कि जिले के किसानों को अब तक 2019 की फसल बीमा राशि का लाभ भी नहीं मिला है.
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किसानों का छलका दर्द
रतलाम जिले के शिवपुर में पहले तो बारिश में देरी हुई, जिससे आधी सोयाबीन की फसल खराब हो गई और बची हुई में फसल में फफूंद लग गई. कोई किसान हेलोजन से गर्मी कर फसल को सूखा रहा है, तो कोई किसान सोयाबीन के दानों को हवा में सूखाकर फफूंद दूर करने का प्रयास कर रहा है. यहां के किसानों का कहना है कि नेता और अधिकारी तो यहां हर बार आते हैं. लेकिन फसल नुकसान के वक्त जब बीमा राशि देने की बात आती है, तो यहां कोई नजर नहीं आता है.
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सर्वें का इंतजार पड़ा महंगा
किसानों ने बताया कि फसल खराब होने के बाद नेता और अधिकारी यहां आये थे और मुआवजा देने के लिए सर्वें कराने की बात कही थी. अब सर्वें के इंतजार में किसानों ने फसल लेट काटी, फिर कुछ प्रयास करने के बाद किसान बची फसल घर लेकर आए, लेकिन उसमें भी फफूंद लग गई. किसानों ने बताया हर साल 1 बीघा में 3 क्विंटल सोयाबीन होता था, जहां इस बार केवल 1 क्विंटल ही आ पाया और अब उसमें भी फफूंद लगने लगा है.
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राजनीतिक दलों की सियासत फिर भी जारी
फसल नुकसान से जिले के शिवपुर, रामपुरिया, लुनेरा सहित 4 ग्राम पंचायतों के करीब 3 हजार किसान प्रभावित हुए हैं. भाजपा दावा कर रही है कि वे किसानों के हित में काम कर रही है. तो विपक्ष कह रही है कि किसानों के साथ आवाज उठाने में वे हर वक्त उनके साथ हैं. भाजपा के दिलीप मकवाना और कांग्रेस के किसान सिंघाड़ ने तो इधर-उधर की बातें कह कर पल्ला झाड़ लिया. लेकिन किसानों को जो फसल बीमा की राशि नहीं मिली है और जिन किसानों का सूची में नाम होने के बावजूद उचित राशि नहीं मिली उनका दर्द कैसे कम होगा?
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