शिवराज सरकार की रजामंदी से पशुओं का चारागाह बनेगा, `लाटसाहब` की ऐशगाह?
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार राजधानी में नया गोल्फ कोर्स बनाने की तैयारी कर रही है. यह गौवंश के लिये बनाए गए चारागाह पर बनेगा. इसकी फाइल भी तैयार हो चुकी है. सरकार ने इसकी सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी है.
भोपाल: मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार राजधानी में नया गोल्फ कोर्स बनाने की तैयारी कर रही है. यह गौवंश के लिये बनाए गए चारागाह पर बनेगा. इसकी फाइल भी तैयार हो चुकी है. सरकार ने इसकी सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी है. हालांकि इसका बीजेपी नेता ने विरोध किया है. पूर्व राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि गाय के चारागाह को बचाने के लिए मैं व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा. जबकि कांग्रेस का कहना है कि पार्टी इस प्रपोजल का पुरजोर विरोध करेगी. वहां गोल्फ ग्राउंड नहीं बनने दिया जाएगा.
फाइल तैयार, उठ रहे सवाल
चारागाह में गोल्फ कोर्स बनाने के लिए अफसरों की पूरी टीम लगी है. सरकार की भी सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है. ऐसे में अब जल्द ही किसानों से गायों के नाम अधिग्रहीत की गई जमीन पर राजधानी की रईस जमात, सरकारी अफसरों के साथ गोल्फ स्टिक लहराती नजर आएगी. बीजेपी सरकार वैसे तो गौ पालन और गौ सेवा की बात करती है, लेकिन उसी सरकार में अफसरों को गोल्फ खेलने के लिए गायों के चारागाह की जमीन देने का खेल चल जा रहा है. गोल्फ कोर्स के लिए पशुपालन विभाग से जबरन गायों के चारागाह की जमीन मांगी जा रही है.
कितनी जमीन अधिग्रहीत की गई?
दरअसल, कलियासोत में 650 एकड़ में बुलमदर फार्म है. इसमें 225 एकड़ में फार्म बना है. 400 एकड़ डूब क्षेत्र की जमीन गायों के चारागाह के रूप में है. बाकी 25 एकड़ जमीन बंजर है. गोल्फ कोर्स के लिए 100 एकड़ जमीन मांगी गई है. इसमें 55 एकड़ पर सीमन सेंटर बना है और 30 एकड़ जमीन किसानों से गायों के चारागाह के लिए अधिग्रहित की गई है.
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2018 में चुनाव को देखते हुए टाल दिया था प्रस्ताव
शिवराज सरकार के अपने पिछले कार्यकाल में मामला कैबिनेट तक भी पहुंच गया था. अक्टूबर 2018 में हुई कैबिनेट में ये प्रस्ताव रखा गया, लेकिन तक विधानसभा चुनाव सिर पर थे. तब सबसे पहले तत्कालीन मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने इसका विरोध किया था. उनका कहना था कि विधानसभा चुनाव से पहले गायों के चारागाह पर गोल्फ कोर्स बनाने के फैसले से जनता में गलत संदेश जाएगा.
बीजेपी नेता ने किया विरोध, पहले भी नहीं थे पक्ष में
अब पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि मैं इसका घोर विरोधी हूं. मैं जब मंत्री था तब भी यह प्रस्ताव आया था, जिसका मैंने विरोध किया था. उन्होंने कहा कि वैसे ही पशुओं के चारे की जगह बहुत कम बची है. गोल्फ कोर्स के लिए ऐसी जमीन दी जाना चाहिए जो बंजर या अन्य किसी काम में उपयोग नहीं आ रही हों. गाय के चारागाह को बचाने के लिए मैं व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा.
कांग्रेस पुरजोर विरोध के मूड में
कांग्रेस नेता और पूर्व पशुपालन मंत्री लाखन सिंह यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने पिछले कार्यकाल में अफसरों के दबाव में चारागाह की जमीन पर गोल्फ कोर्स बनाने का प्रस्ताव लाए थे, लेकिन उन्हीं के मंत्रीमंडल में विरोध होने पर वे इसे मंजूर नहीं करा पाये थे. कांग्रेस सरकार ने इस प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया था. भारतीय जनता पार्टी जिस गौ माता के नाम पर राजनीति करती है उसके साथ अन्याय किया और अभी भी अन्याय ही कर रही है. कांग्रेस पार्टी इस प्रपोजल का पुरजोर विरोध करेगी.
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साल 2018 का हवाला देकर मांगी गई जमीन
7 अगस्त को नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने 27 नवंबर 2018 के आदेश का हवाला देते हुए पशुपालन विभाग को पत्र लिखकर जमीन की जानकारी मांगी है. इस बार नगरीय प्रशासन विभाग ने साफ किया है कि जो जमीन किसानों से अधिग्रहित नहीं की गई हो, सिर्फ उसकी ही जानकारी दी जाए. इस पत्र के बाद पशुपालन विभाग ने पशु प्रजनन प्रक्षेत्र को पत्र लिखकर गोल्फ कोर्स के लिए जमीन के संबंध में जानकारी मांगी है. पत्र में कहा गया है कि नगरीय विकास एवं आवास विभाग इस जमीन पर गोल्फ कोर्स बनाना चाहता है. जमीन से जुड़ी जानकारी तत्काल प्रभाव से भेजें.
गोल्फ कोर्स बनाने से क्या होगा नुकसान?
यहां गायों की नस्ल सुधार के लिए और दुग्ध सम्पदा भदभदा की स्थापना 1974 में की गई थी. यह प्रदेश की एकमात्र केन्द्रीय वीर्य संस्थान है. भारत सरकार ने इस संस्थान को A-ग्रेड सर्टिफिकेट दिया है और भारत मानक ब्यूरो से भी प्रमाण-पत्र मिला हुआ है. इस संस्थान की वजह से ही प्रदेश दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में देश में तीसरे नंबर पर है. ऐसे में संस्थान के पास गोल्फ कोर्स बनाना केन्द्रीय वीर्य संस्थान के लिए भारत सरकार के द्वारा एमएसपी के अंतर्गत जारी बॉयो-सिक्योरिटी को खतरा होगा.
क्या है नियम?
साल 2018 में भी पशुपालन विभाग ने जमीन को गोल्फ कोर्स को देने के लिए कड़ी आपत्ति जताई थी. विभाग का तर्क था कि संस्थान के पास गोल्फ कोर्स बनाना एमएसपी के अंतर्गत जारी बॉयो-सिक्योरिटी के तहत खतरा होगा. गोल्फ कोर्स के लिए जो 145 एकड़ जमीन मांगी जा रही है उसमें 19 हेक्टेयर जमीन 1974 में पशु प्रजनन प्रक्षेत्र के लिए किसानों से अधिग्रहित की गई थी. भूमिअधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार जो जमीन जिस काम के लिए अधिग्रहित की गई है उसका उपयोग उसी के लिए किया जा सकता है. अधिग्रहित जमीन दूसरे उपयोग में नहीं ली जा सकती.
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