आदेश के मुताबिक अब माता-पिता की देखभाल नहीं करने पर मध्य प्रदेश शासन के अधीन कार्यरत शासकीय विभाग, अर्ध शासकीय उपक्रम, बोर्ड, निकायों के अधिकारी-कर्मचारियों की सैलरी से 10 प्रतिशत या फिर अधिकतम 10 हजार रुपए की कटौती की जाएगी.
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भोपाल: माता-पिता को भरण-पोषण भत्ता नहीं देने वाले अफसरों पर प्रदेश सरकार सख्त हो गई है. इसके लिए सामाजिक न्याय विभाग ने सभी संयुक्त संचालकों और उपसंचालकों को पत्र भी लिखा है. जिसमें माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों को 2007 और 2009 कल्याण अधिनियम के तहत भत्ता दिए जाने को कहा गया है.
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आदेश के मुताबिक अब माता-पिता की देखभाल नहीं करने पर मध्य प्रदेश शासन के अधीन कार्यरत शासकीय विभाग, अर्ध शासकीय उपक्रम, बोर्ड, निकायों के अधिकारी-कर्मचारियों की सैलरी से 10 प्रतिशत या फिर अधिकतम 10 हजार रुपए की कटौती की जाएगी. आदेश का पालन हो सके, इसके लिए सभी जिलों के संभागीय और जिलाधिकारियों को आदेश दिया गया है.
सामाजिक न्याय विभाग की तरफ से यह फैसला राज्य में लगातार बढ़ रहे मामलों की वजह से लिया गया है. ऐसा ही एक मामला बीते नवंबर 2019 में जबलपुर के गोरखपुर एसडीएम कोर्ट में आया था. एक माता-पिता ने अपने बच्चों द्वारा देखभाल नहीं किए जाने का मामला दर्ज कराया था.
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माता-पिता ने कहा कि वे वर्ष 2000 में रिटायर हो गए थे. रिटायर होने पर उन्हें जो पैसा मिला वे बेटे और बहू ने ले लिया. बाकी के बचे हुए पैसे बच्चों की पढ़ाई में पहले ही खर्ज हो गए थे. शिकायत में माता-पिता ने कहा छोटा बेटा यूपीएससी में चयनित है, जबकि बड़ा बेटा बिजली विभाग में लेकिन दोनों फिक्र नहीं करते हैं.
माता-पिता की शिकायत सुनने के बाद एसडीएम कोर्ट ने कलेक्टर बेटे को 15,000 रुपए और दूसरे बेटे पर 10,000 हजार रुपए प्रतिमाह देने का आदेश दिया था.
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