संदीप भम्‍मारकर, भोपाल : मध्‍यप्रदेश की राजनीति‍ में पिछले डेढ़ दशक से शिवराज सिंह चौहान सबसे बड़ा नाम रहे हैं. वह प्रदेश के सबसे लंबे समय तक सीएम रहने का रिकॉर्ड भी बना चुके हैं. राज्‍य में वह बीजेपी का वह सबसे बड़ा चेहरा रहे हैं. इस चुनाव में बहुत थोड़े अंतर से उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा है. लेकिन चुनाव के बाद भी वह सक्र‍िय नजर आए. ऐसे में जब भोपाल में पार्टी की एक अहम बैठक हुई और उसमें शिवराज सिंह चौहान नहीं पहुंचे तो सवाल उठना स्‍वाभाविक है. शिवराज भोपाल में ही मौजूद थे, लेकिन फिर भी बैठक में नहीं पहुंचे ऐसे में अब कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आपको बता दें कि‍ भोपाल में नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष चुनाव के लिए मीटिंग हुई, लेकिन शिवराज भोपाल में रहकर भी इस बैठक से नदारद रहे. ऐसा पहली बार हुआ कि किसी रणनीतिक मीटिंग में शिवराज सिंह चौहान गैर हाजिर रहे.


HAL कॉन्‍ट्रेक्‍ट मामला: राहुल ने मांगा रक्षामंत्री का इस्‍तीफा, निर्मला सीतारमन ने सबूत के साथ द‍िया जवाब


शिवराज सिंह की गैर हाजिरी ने सियासी हलकों में नयी चर्चाएं शुरू हो गयी हैं. सवाल उठ रहे हैं कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद मध्‍यप्रदेश बीजेपी में क्या अब शिवराज के बगैर भी फैसले होंगे. 13 साल तक सरकार के साथ बीजेपी को भी एकतरफा चलाने वाले शिवराज की गैरहाजिरी से कानाफूसी तेज है.


कुछ लोग तो ये भी कहने लगे हैं कि शिवराज के बगैर बीजेपी का ये नया दौर भी हो सकता है. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल के अनुसार, शिवराज की जानकारी के बगैर कोई फैसला नहीं हो सकता है. वहीं इस मसले पर कांग्रेस नेता सैयद जाफर का कहना है कि कांग्रेस इसे बीजेपी का आंतरिक मामला मानती है. इसलिए इस पर कोई टिप्‍पणी सही नहीं है.