भोपाल: मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान अपने मंत्रिमंडल का फैसला 14 अप्रैल यानी कल लेंगे. उन्होंने कहा कि 23 मार्च 2020 को शपथ लेने के बाद पार्टी ने उन्हें कोरोना संक्रमण को रोकने के लक्ष्य0 को पहली प्राथमिकता के तौर पर सौंपा था. 14 अप्रैल को ही पीएम नरेंद्र मोदी लॉकडाउन को लेकर आगामी फैसला लेंगे. इसके बाद प्रदेश में नए मंत्रीमंडल विस्तार के बारे में तय किया जाएगा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें कि बीते 25 दिनों से सीएम शिवराज अकेले ही काम कर रहे हैं. जबकि विपक्ष उन पर एकला चलो का आरोप लगाकर क्रेडिट लेने की होड़ बता रहा है. खास बात यह है कि शिवराज के मंत्रीमंडल में सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक भी शामिल हो सकते हैं.


शिवराज कैबिनेट में होंगे 33 मंत्री, सिंधिया समर्थक भी होंगे एडजस्ट
शिवराज की कैबिनेट में नियमानुसार 33 मंत्री हो सकते हैं, सूत्रों के मुताबिक राजनैतिक कारणों से वे कुछ स्थान खाली रख सकते हैं. अटकलें ये भी हैं कि शिवराज सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायक भी शिवराज के मंत्रीमंडल में शामिल हो सकते हैं. राजनैतिक विश्लेषक इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं कर रहे हैं कि इस्तीफा देने वाले कमल नाथ सरकार के सिंधिया समर्थक मंत्रियों को विधायक नहीं होने के बावजूद मंत्री बनाया जा सकता है. उन्हें छह महीने में चुनाव लडना पड़ेगा, तब तक उनकी परंपरागत सीट में उपचुनाव भी होने की संभावना है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा- MP में फ्लोर टेस्ट कराने का गवर्नर का फैसला सही था, कांग्रेस की याचिका खारिज


गौरतलब है कि शिवराज ने विधानसभा में बहुमत साबित करके 23 मार्च 2020 को चौथी बार मध्य प्रदेश के सीएम पद की शपथ ली थी. देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान के बाद भोपाल समेत इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और श्योपुर में कोरोना संक्रमित मरीज मिले थे. इसके बाद सीएम शिवराज ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए युद्ध स्तर पर कवायदें शुरू कर दीं.


विपक्ष करता रहा लगातार हमला
इस दौरान पूर्व सीएम कमलनाथ समेत समूची कांग्रेस ने लगातार शिवराज को निशाने पर लेते हुए आरोप लगाये कि शिवराज मंत्रीमंडल का गठन नहीं कर रहे हैं. वे पूरा क्रेडिट अकेला ही लेना चाहते हैं, जबकि मंत्रीमंडल नहीं होने से प्रशासनिक पकड़ कमजोर हो रही है और गड़बड़िया होती जा रही हैं. राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने तो संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए एमपी में राष्ट्रपति शासन तक लगाने की मांग कर दी थी. 



जवाब में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा था कि शिवराज अनुभवी मुख्यमंत्री हैं, उन्हें सरकार चलाने का पर्याप्त अनुभव है वे कोरोना को लेकर उचित फैसले भी ले रहे हैं. सही समय पर मंत्रीमंडल गठन भी करेंगे. बीजेपी प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने तो ये दलील दी थी कि कांग्रेस ये देखे कि कोरोना को लेकर प्रोटोकॉल के मुताबिक काम हो रहा है या नहीं, कांग्रेस को इस बात से कोई मतलब नहीं होना चाहिए कि ये काम सीएम कर रहे हैं या उनके मंत्री.