करगिल युद्ध में मिराज के लिए महज 12 दिन में तैयार की गई थी लेजर गाइडेड बम प्रणाली
वायुसेना प्रमुख ने कहा, `मिराज 2000 में बदलाव की प्रक्रिया जारी थी, जिसे शीघ्र पूरा कर लिया गया और इस प्रणाली का करगिल युद्ध में इस्तेमाल किया गया`.
ग्वालियर: मध्य प्रदेश में वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने सोमवार को कहा कि करगिल युद्ध के दौरान टारगेटिंग पॉड्स के एकीकरण और मिराज 2000 विमानों के लिए लेजर-निर्देशित बम प्रणाली तैयार करने का काम रिकॉर्ड 12 दिन में पूरा किया गया था.
करगिल युद्ध के 20 साल पूरे होने के अवसर पर ग्वालियर वायुसैनिक अड्डे पर आयोजित एक कार्यक्रम में धनोआ ने ये बातें कही. वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'मिराज 2000 में बदलाव की प्रक्रिया जारी थी, जिसे शीघ्र पूरा कर लिया गया और इस प्रणाली का करगिल युद्ध में इस्तेमाल किया गया'.
वायुसेना प्रमुख ने कहा, 'लाइटनिंग टारगेटिंग पॉड और लेजर गाइडेड बम प्रणाली को रिकॉर्ड 12 दिन के भीतर पूरा कर लिया गया'. उन्होंने कहा कि मिराज 2000 जेट विमानों और थल सेना को वायुसेना के सहयोग ने 1999 के युद्ध का रुख ही पलट दिया.
धनोआ ने बालाकोट पर कहा, 'पाकिस्तान हमारे हवाईक्षेत्र में दाखिल नहीं हो पाया, हमने उसके आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया जबकि वह हमारे सैन्य अड्डों को निशाना बनाने में नाकाम रहा'.
अरुणाचल प्रदेश में वायुसेना के एएन-32 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की हालिया घटना को लेकर पूछे गये सवाल पर धनोआ ने कहा, 'एएन-32 विमान पहाड़ी इलाकों में उड़ान भरना जारी रखेगा, क्योंकि हमारे पास इस विमान का कोई विकल्प नहीं है'.
उन्होंने कहा, 'हमलोग अधिक उन्नत विमान हासिल करने की प्रक्रिया में हैं, जिनके मिलते ही एएन-32 को हटाकर उन्नत विमानों को महत्वपूर्ण भूमिका में लगाया जायेगा। एएन-32 विमानों का इस्तेमाल इसके बाद परिवहन और प्रशिक्षण उद्देश्य से किया जायेगा'.
अरुणाचल प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में स्थित घने जंगलों में इस महीने एक एएन-32 विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से उसमें सवार सभी 13 सैन्यकर्मियों की मौत हो गयी थी.