मंडला: जिले का प्रसिद्ध कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, अब तक जहां वन्य प्राणी प्रेमियों व देशी विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र था. वहीं अब कान्हा के बफर जोन से लगे अंजनिया वन परिक्षेत्र के ग्राम ककैया की एक जगह "अजगर दादर" भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस ग्राम में करीब 2 एकड़ के क्षेत्र में सैकड़ों छोटे-बड़े अजगरों का डेरा है. यहां सैकड़ों की संख्या में अजगर ( रॉक पाइथन ) आसानी से देखे जा सकते है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दुबई में 31 दिसंबर की धुआंधार पार्टी करने वाली थी ड्रग्स वाली आंटी, पूछताछ में खोले कई अहम राज


कैसे पड़ा इसका नाम 'अजगर दादर'
कहा जाता है कि 1926 में यहां बाढ़ आई जिसके बाद यहां का इलाका पूरी तरह खराब हो गया, तो यहां चूहों, गिलहरी आदि जीवों ने अपना बसेरा बना लिया था. जिन्हें अजगरों का प्रिय भोजन माना जाता है. यही वजह है कि इस जगह को अजगरों ने अपना ठिकाना बना लिया और यह इलाका अजगर दादर कहलाने लगा.


संरक्षित करने की आवश्यकता
जानकार जहां इन अजगरों को वन्य प्राणियों की अनुसूची का एक अति दुर्लभ प्राणी बताते है, तो वहीं इसके संरक्षण की आवश्यकता पर बल दे रहे है. वन अधिकारी कहते है कि इन्हें ठंड के मौसम में ही देखा जाता है. जबकि जैसे-जैसे ककैया क्षेत्र के इस अजगर दादर का पता लोगों को चलता जा रहा है वैसे-वैसे लोग इन्हें देखने आने लगे है.


धूप सेंकने निकल रहे बाहर
यहां विशालकाय अजगरों को रेंगते, चट्टानों के ऊपर धूप सेंकते और गुफाओं से आते-जाते देखा जा सकता है. अजगर दादर में पाये जाने वाले अजगर दुर्लभ प्रजाति के है और ये जाड़े के मौसम में न सिर्फ धूप सेंकने अपने बिलों से बाहर निकलते है बल्कि यह समय इनके सहवास का भी होता है.


MP में बैलेट पेपर नहीं EVM से ही होंगे नगरीय निकाय चुनाव, EC ने खारिज की कांग्रेस की मांग


प्रस्ताव शासन को भेज दिया है
अजगरों की इस बस्ती को संरक्षित करने के लिए इसे वाइल्ड लाइफ सेंचुरी बनाने का प्रस्ताव प्रदेश शासन को पहले से ही भेजा जा चुका है. जिसकी स्वीकृति अभी नहीं मिली है. अजगरों को दूर से ही देखने के लिए वाच टावर्स बनाने का भी प्रस्ताव लंबित है.


WATCH LIVE TV