मंदसौर: मध्यप्रदेश के मंदसौर के शहरी क्षेत्र में वृक्षों की कम होती तादाद के कारण पक्षी सुरक्षित निवास स्थान की कमी कि समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में पक्षियों को सहेजने के लिए युवाओं ने अनूठी पहल की है. युवाओं ने तेल के पुराने डिब्बों से पक्षियों के लिए घोंसले बनाने शुरू किए हैं. इन घोंसलों को बनाकर 25 युवाओं की टीम पेड़ों पर लगा रही है. ताकि सर्द मौसम और ओलावृष्टि की स्थिति में पक्षियों को महफूज स्थान उपलब्ध कराया जा सके. कुछ वर्षों पहले ओला वृष्टि में सैकड़ों पक्षियों की हुई मौत से व्यथित इन युवाओं ने इस पहल को शुरू किया है. इनका लक्ष्य 5000 घोंसले लगाना है. यह घोंसले तोते जैसे उन पक्षियों के लिए ज्यादा उपयोगी हैं, जो खुद का घोंसला नहीं बनाते हैं.


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मंदसौर के दशपुर कुंज और जिला अस्पताल परिसर के पेड़ों पर टहनियों पर घोंसले बांध रहे यह युवा पक्षियों को सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं. आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में नई चौड़ी सड़कों और बड़ी इमारतों के बनने के चलते वृक्षों की संख्या लगातार कम हो रही है. जिसके कारण पक्षियों के लिए सुरक्षित स्थान उपलब्ध नहीं रहते और ऐसे में ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदा में सैकड़ों पक्षियों की मौत होती है. कुछ साल पहले ओलावृष्टि में सैकड़ों पक्षियों की मौत हुई थी. इसी घटनाक्रम से व्यथित होकर युवाओं ने यह बीड़ा उठाया है. पक्षियों को ऐसी आपदाओं से बचाने के लिए और सर्द मौसम में सुरक्षित स्थान देने के लिए युवाओं ने इस माह में 1000 घोंसले लगाने का लक्ष्य रखा है और वे रोजाना दो से तीन घंटे यह कार्य करते हैं.


इन युवाओं ने पक्षियों के लिए घोंसले बनाने का अनोखा तरीका निकाला है. तेल के 3 और 5 लीटर की खाली डिब्बों को काटकर घोंसलों का रूप दिया गया है. यह घोंसले मिट्टी और अन्य विकल्पों से ज्यादा मजबूत होने के साथ साथ सस्ते भी हैं. इस स्कवॉड में हर पेशे से जुड़े लोग मौजूद हैं. कोई इंजीनियर है, कोई वकील है, कोई व्यापारी तो, कोई छात्र.


वकील जयदेव सिंह चौहान बताते हैं कि अभी हाईवे बना है, जिसके कारण काफी पेड़ कटे हैं और जो नए पेड़ लगाए गए हैं, वह काफी छोटे हैं. ऐसे में पक्षियों के रहने के लिए स्थान नहीं है तो, हम लोगों ने 5000 घोंसलें लगाने का लक्ष्य रखा है. इस तरह के घोंसले बनाने का मूल आईडिया देने वाले जम्मू कुमार नलवाया बताते हैं कि कुछ सालों पहले सैकड़ों पक्षियों की मौत ओलावृष्टि से हुई थी. जिसके कारण मन व्यथित हुआ और पक्षियों को सहेजने के लिए कुछ करने की इच्छा हुई.