भोपाल: मध्य प्रदेश में एक अप्रैल से गेहूं की खरीदी शुरू होने जा रही है. जो भी किसान गेहूं की फसल बेचने जाएंगे उनके लिए यह काम की खबर है. इस बार मध्य प्रदेश के करीब 24 लाख से ज्यादा किसानों ने गेहूं बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. इस बार किसानों से 1975 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से गेहूं की खरीदी की जाएगी. कोविड-19 के कारण खरीदी केंद्रों पर बचाव की तमाम सावधानियां रखने के निर्देश दिए गए हैं. किसानों को एसएमएस भेजकर केंद्र पर आने के लिए तारीख और समय बताया जा रहा है. साथ ही किसानों की समस्याएं दूर करने के लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया है.


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इन नंबरों पर किसान दर्ज करा सकते हैं शिकायत
किसानों को फसल बेचने के दौरान किसी भी तरह की समस्या आती है तो वह टोल फ्री सीएम हेल्पलाइन नंबर 181 पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके अलावा उपार्जन को लेकर कोई समस्या आने पर राज्यस्तरीय कंट्रोल रूम बनाया गया है, जिसका नंबर 0755- 2551471 है. इस नंबर पर भी किसान अपनी समस्या बता सकते हैं. इसके अलावा कृषि मंत्री कमल पटेल ने  0755-2558823 नंबर जारी किया है, जिस पर किसान अपनी समस्या बता सकते हैं.


कृषि मंत्री कमल पटेल की अपील
कृषि मंत्री कमल पटेल ने बीते दिनों फेसबुक पेज पर संवाद करते हुए कहा था कि अगर किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी होती है तो वह 0755-2558823 टोल फ्री नंबर पर अपनी शिकायते दर्ज करा सकते हैं. कमल पटेल ने कहा था कि इस बार भी प्रदेश में गेहूं, चना, मसूर और सरसों की अच्छी पैदावार हुई है. पिछले साल प्रदेश गेहूं खरीदी में देशभर में पहले स्थान पर रहा था. इसलिए इस बार सरकार ने 135 मीट्रिक टन गेहूं खरीदी का लक्ष्य रखा है.


135 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी की उम्मीद
शिवराज सरकार ने इस साल रिकॉर्ड 135 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है. प्रदेश में 4,529 खरीद केंद्र बने हैं. सरकार को उम्मीद है कि इस बार 125 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी होगी. पिछले साल 15.81 लाख किसानों से 129 लाख मीट्रिक टन से भी ज्यादा गेहूं खरीदा गया था.


सीएम शिवराज ने अधिकारियों को दिए जरूरी निर्देश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसानों को उपज के भुगतान के लिए परेशान ना होना पड़े ऐसी व्यवस्था बनाएं. सभी किसानों से अपील की गई है कि वे मास्क लगाकर ही खरीद केंद्र पर पहुंचे और शारीरिक दूरी का पालन करें. किसानों का पूरा लेखा-जोखा कंप्यूटर में दर्ज होगा और जब भी उपज लेकर आएंगे तो उनकी तौल पर्ची जारी होगी. इसके आधार पर ही उसे खरीद की जाएगी.


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