इंदौर: जब देश में कोरोनावायरस का कहर तेजी से फैल रहा था, तब बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद ने घर से बेघर हो रहे गरीबों के मसीहा बनकर उतरे थे. लॉकडाउन के दौरान उन्होंने ना केवल प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में मदद की थी. अब सोनू सूद इंदौर नगर निगम के अमानवीय चेहरा सामने आने के बाद बेसहारा और बेघर बुजुर्गों की मदद करेंगे. उन्होंने बाकायदा एक वीडियो संदेश के माध्यम से इंदौर में शुक्रवार हुए कृत्य पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.


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ये सिटी नंबर1 के लिए कलंक है.! बेसहारा बुजुर्गों को शिप्रा के किनारे फेंकने आए थे इंदौर नगर निगम के कर्मचारी


हमें छत देने की कोशिश करना चाहिए
सोनू सूद ने वीडियो में नगर निगम और सरकार का नाम लिए बिना यह कहा कि  इंदौरवासी भाई बहनों से गुजारिश करूंगा कि मैंने कल एक खबर देखी. जहां बुजुर्गों को इंदौर शहर सीमा से बाहर रखने का प्रयत्न किया गया.  उन्होंने कहा मैं और आप सब मिलकर इन्हें छत देने की कोशिश करना चाहिए. मैं बुजुर्गों को उनका हक दिलाना चाहता हूं और उनके सिर पर छत दिलाना चाहता हूं. उनके खाने पीने का प्रबंध औऱ ध्यान रखने की कोशिश करना चाहता हूं लेकिन यह सब कुछ इंदौरवासियों के बिना मुश्किल है. 
 
मां बाप को अलग रखने वालों के लिए सीख
सोनू सूद ने इंदौर की घटना का उदाहरण देते हुए बच्चों से गुजारिश कि है कि जो बच्चे मां बाप को अलग छोड़ देते है उनके लिए एख सीख होना चाहिए कि आप अपने मां बाप को हमेशा साथ रखे उनका ध्यान रखें. तो आइये इंदौरवासियों के साथ एख ऐसा उदाहरण सेट करे ताकि बड़े बुजुर्ग कभी भी अकेला महसूस न करे. आईये पूरे देश के लिए उदाहरण पेश करे.


No.1 इंदौर के लिए ये कलंक! बेसहारा बुजुर्गों को नदी किनारे फेंकने आए, नगर निगम के कर्मचारी VIDEO


यह है पूरा मामला 
इंदौर नगर-निगम के कर्मचारी एक कचरा गाड़ी में शहर के बेसहारा बुजुर्गों को पशुओं की तरह भरकर उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे छोड़ने आए थे. लेकिन जब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया तो नगर निगम कर्मचारी बुजुर्गों को गाड़ी में वापस भरकर ले गए. स्थानीय युवक ने बताया कि नगर-निगम के कर्मचारियों ने करीब 15 से 20 बुजुर्गों को गाड़ी में एक-दूसरे के ऊपर लादकर बिठाया था. इनमे से कई लागों की हालत तो इतनी खराब थी की वे ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे. निगम कर्मचारियों ने उन्हें गाड़ी से उठाकर नीचे बिठा दिया था. हालांकि विरोध के बाद स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें फिर से गाड़ी में बिठाया गया और वापस इंदौर भेजा गया है.


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