बैतूल: एक कुर्सी के दो दावेदारों का दिलचस्प मामला बैतूल से सामने आया है. यहां सीएमएचओ की एक कुर्सी के दो-दो डॉक्टर दावेदार बने घूम रहे हैं. खास तो यह है कि इस कुर्सी के चक्कर में भाजपा के दो विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे और राकेश गिरी भी फंस गए हैं, जिन्हें अदालत में खींच लिया गया है. अब उन्हें अदालत में साबित करना पड़ेगा कि हटाये गए सीएमएचओ की सच्चाई क्या है.


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दरअसल राज्य शासन ने बैतूल सीएमएचओ डॉ. एके तिवारी का हाल ही में तबादला कर दिया था. इसके बाद वे हाईकोर्ट का स्टे-ऑर्डर लाकर मंगलवार देर शाम कुर्सी पर फिर बैठ गए. जबकि उनकी जगह जिस डॉक्टर नागले को राज्य सरकार ने कुर्सी सौंपी थी, वे भी खुद को सीएमएचओ बताकर आदेश जारी कर रहे हैं. ऐसे में कर्मचारी पशोपेश में हैं कि वे असली सीएमएचओ किसको मानें. 


मैं हूं असली सीएमएचओ
राज्य सरकार ने 20 दिन पहले सीधी जिले से डॉक्टर एके तिवारी को सीएमएचओ बनाकर बैतूल भेजा था, लेकिन 26 फरवरी को 20 दिन बाद उनका फिर टीकमगढ़ तबादला कर दिया और डॉ. तिवारी की जगह बैतूल के पैथालाजिस्ट डॉ. डब्ल्यू.ए.नागले को प्रभारी सीएमएचओ बना दिया गया. इससे नाराज डॉक्टर तिवारी हाईकोर्ट चले गए और उन्होंने तबादले के खिलाफ स्टे-ऑर्डर प्राप्त कर लिया. स्टे मिलने के बाद वे अपने दफ्तर पहुंचे और कुर्सी थामकर उस पर जम गए. यहां तक कि उन्होंने सीएमएचओ बनाये गए डॉ. नागले को उनकी कुर्सी से रिलीव कर दिया. उनका साफ कहना है कि कोर्ट ने उन्हें 26 फरवरी की पूर्व की स्थिति का स्टे दिया है. इसलिए वे ही असली सीएमएचओ है, जबकि राज्य सरकार के आदेश से सीएमएचओ बने डॉ. नागले का कहना है कि वे कुर्सी पर जबरदस्ती बैठ गए हैं, असली प्रभारी मैं हूं और उन्हें इस पद पर कोई काम नहीं करने दूंगा.


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दो विधायक फंसे कुर्सी के चक्कर में
बैतूल सीएमएचओ की इस कुर्सी के चक्कर में आमला से भाजपा विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे और टीकमगढ़ से विधायक राकेश गिरी भी बुरी तरह उलझ गए हैं. ट्रांसफर्ड सीएमएचओ डॉ एके तिवारी ने हाईकोर्ट में अपने तबादले के खिलाफ लगाई रिट में दोनों विधायकों को भी पार्टी बना दिया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर 21 दिन में अपना पक्ष रखने को कहा है. डॉ. तिवारी के मुताबिक विधायकों ने उनका ट्रांसफर कराने चिट्ठी लिखी थी. जिसमे उन्हें विवादित, फर्जी काम करने का आरोपी ठहराया गया है. यहां तक कि कलेक्टर ने उन्हें हटाने को डीओ लिखा था. अब यह सब कुछ विधायकों को अदालत के सामने साबित करना पड़ेगा.


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