प्रमोद शर्मा/भोपाल: मध्यप्रदेश के शिवपुरी सहकारी बैंक में गड़बड़ी करने के मामले में बैंक के चार मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) समेत 14 कर्मचारियों निलंबित कर दिया गया. आरोप है कि किसानों के नाम पर फर्जी ऋण की राशि में करोड़ों रुपए का गबन हुआ था. मामले में सरकार ने जांच पूरी होने के बाद यह कार्रवाई की है.


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इन्हें किया निलंबित 
सहकारी बैंक शिवपुरी में पूर्व में पदस्थ रहे मुख्य कार्यपालन अधिकारी एएस कुशवाह, डीके सागर, वायके सिंह और वर्तमान में पदस्थ्य लता कृष्णन को निलंबित किया गया है. बता दें कि शिवपुरी जिला सहकारी बैंक में गबन का मामला सामने आने पर सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने 13 सदस्यीय समिति बनाकर जांच कराई थी. इसमें गड़बड़ी के सभी पहलुओं और उससे जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका की जांच कराई गई थी. समिति ने एक माह में जांच करके प्रतिवेदन दिया. इसके आधार पर बैंक में 2006 से 2020 तक मुख्य कार्यपालन अधिकारी पद पर रहे चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है.


लापरवाही और घोटाले का जिम्मेदार माना
जांच दल ने इन सभी अधिकारियों को कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही और उपेक्षापूर्ण कार्यप्रणाली से बैंक में गबन और घोटाला होने के लिए जिम्मेदार माना है. वहीं, शिवपुरी बैंक के प्रबंधक, लेखापाल और लिपिक संवर्ग के 10 कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई. इसके आधार पर इन्हें भी निलंबित कर दिया है.


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इन समितियों का नहीं हुआ सालों से ऑडिट
कोलारस शाखा से जुड़ी जुकवासा पैक्स सोसायटी का साल 2010-11 से ऑडिट नहीं हुआ. मनपुरा पैक्स सोसायटी का 2010-11, पिछोर पैक्स सोसायटी का 2009-10, कमलापुर का 2015-16 से ऑडिट नहीं हुआ. खोड़ का भी 2009-10 से ऑडिट नहीं होने की बात सामने आ रही है. वहीं, करैरा की डबियाकला पैक्स सोसायटी का 2009-10 से ऑडिट नहीं कराया गया. कोलारस में बेंहटा सोसायटी, राई का, कुलवारा का सालों से ऑडिट नहीं कराया. खास बात यह है कि सहकारिता विभाग शिवपुरी के अधिकारी ऑडिट नहीं होने के पीछे प्रबंधकों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वहीं सोसायटी प्रबंधक ऑडिट कराने को तैयार नहीं है क्योंकि अगर ऑडिट हुई तो बड़ा घोटाला सामने आ सकता है.


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