भारत में 26,000 से ज्यादा तरीकों से जेल जा सकता है कोई भी व्यापारी, इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा
टीमलीज रेगटेक और दिल्ली स्थित स्वतंत्र थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में व्यापार करना कितना कठिन है, क्योंकि देश के व्यापार कानून में 26 हजार से ज्यादा ऐसी धाराएं हैं, जो किसी भी व्यापारी या उद्यमी को जेल भेजने के लिए काफी हैं.
नई दिल्ली. केंद्र सरकार भले ही भारत में व्यापार करने के नियमों को आसान बनाने की लगातार कोशिश कर रही है, लेकिन आजादी के 76 साल बाद भी ऐसे 26 हजार से ज्यादा ऐसे कानून और नियम हैं, जिनका पालन नहीं करने पर व्यापारियों को जेल हो सकती है. टीमलीज रेजटेक और ओआरएफ की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 69,233 नियम और कानून हैं, जिनके जरिए व्यापार को रेगुलेट किया जाता है. इनमें से 26,134 कानून और नियम को तोड़ने पर जेल जाने तक का प्रावधान है. दूसरे शब्दों में कहें तो 5 में से लगभग 2 धाराएं एक व्यापारी को जेल भेजने के लिए काफी हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के ज्यादा नियम देश में लघु, कुटीर एवं मध्यम उद्योंगों के लिए बोझ हैं, क्योंकि 150 से अधिक कर्मचारियों वाले एक सामान्य उद्योग को 500 से 900 अनुपालन का सामना करना पड़ता है, जिसकी लागत एक वर्ष में 12-18 लाख रुपये होती है. यह नियामकीय बोझ देश में न केवल लाभ के लिए चलने वाले उद्योंगो को प्रभावित करते हैं, बल्कि गैर-लाभकारी संस्थानों को भी प्रभावित करते हैं.
इन राज्यों में सबसे ज्यादा धाराएं
समझने की बात ये है कि केंद्र और राज्यों के नियमों में भी बहुत ज्यादा अंतर है. क्योंकि देश को जिन वस्तुओं और सेवाओं की आवश्यकता है और राज्य उन्हें बनाने वाले उद्यमियों को कैसे देखता है, उनके बीच एक बड़ा अंतर है. पांच राज्यों में व्यापार कानूनों में 1,000 से अधिक कारावास की धाराएं हैं, जिसमें गुजरात (1,469), पंजाब (1,273), महाराष्ट्र (1,210), कर्नाटक (1,175) और तमिलनाडु (1,043) शामिल है.
26,134 कारावास की धाराओं को हटाने की जरूरत
टीमलीज के वाइस प्रेसिडेंट मनीष सभरवाल के बताया कि यह रिपोर्ट क्रियान्वित सुधारों के लिए विचारों के लिए एक शानदार योगदान है. सरकार ने पाबंदियों को साफ करने में अच्छी शुरुआत की है, लेकिन वास्तव में व्यापार के लिए नियामक कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए इस परियोजना को व्यापार के लिए 26,134 कारावास की धाराओं को केंद्र के साथ-साथ यों में भी साफ करने के साथ आगे बढ़ना होगा.
रिपोर्ट के महत्वपूर्ण सिफारिशें
रिपोर्ट में व्यापार की स्थिति में सुधार करने के लिए 10 सिफारिशें की गई हैं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि संविधानिक दंड का उपयोग संयम से कर सकते हैं, नियामक प्रभाव मूल्यांकन समिति की स्थापना कर सकतेह हैं और कारावास की धाराओं को संयोजित करने की सिफारिश की गई है. ओब्सर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष समीर सरन ने कहा है कि इस प्रकाशन ने तीसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधारों के साथ संघर्ष करने और उन्हें प्रदान करने के लिए मूल आधार रखा है. "व्यापार करने और उन्हें चलाने वालों के साथ हमारी व्यवसायों की मूल्यांकन और व्यवहार में परिवर्तन करने की हमें मजबूती महसूस करानी चाहिए. मैं इस रिपोर्ट को नई शोध और प्रयासों के लिए एक प्रारंभिक आधार के रूप में देखता हूं, जो भारत की उद्यमी ऊर्जा को और ग्लोबल आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभारने के लिए जरूरी हैं.