फिर हड़ताल पर अड़े जूनियर डॉक्टर्स, बोले- इस बार मांग पूरी नहीं तो कल से बंद कर देंगे काम
कोरोना का संकट बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना के भयावह हालात के बीच जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल की चेतावनी दी और गुरुवार को आकास्मिक सेवाएं बंद रखीं. मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स की एक बार फिर हड़ताल की आहट सुनाई दे रही है.
आकाश द्विवेदी/भोपाल: कोरोना का संकट बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना के भयावह हालात के बीच जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल की चेतावनी दी और गुरुवार को आकास्मिक सेवाएं बंद रखीं. मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स की एक बार फिर हड़ताल की आहट सुनाई दे रही है. जूनियर डॉक्टर्स (Juda) ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा इस बार अगर उनकी मांगों पर लिखित आदेश जारी नहीं हुए तो फिर 6 मई से वो इमरजेंसी सेवाएं रोक देंगे. इतना ही नहीं 7 तारीख से कोविड मरीजों के इलाज से भी जूनियर डॉक्टर्स ने इनकार कर दिया है. भोपाल के साथ इंदौर और जबलपुर में भी डॉक्टर्स ने हड़ताल की चेतावनी दी.
आपको बता दें कि इससे पहले जूनियर डॉक्टर्स ने अपनी मांगें पूरी न होने पर 5 अप्रैल को हड़ताल की चेतावनी दी थी. सरकार की ओर से आश्वासन मिलने और कोरोना के बिगड़ते हालात को देखते हुए उन्होंने ये हड़ताल टाल दी थी. लेकिन एक बार फिर जूनियर डॉक्टर्स असोसिएशन ने मांगें पूरी न होने पर हड़ताल की चेतावनी दी है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री का आश्वासन
दरअसल जूनियर डॉक्टर्स को 12 अप्रैल को चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा था कि उनकी मांगों का निराकरण जल्द ही कर दिया जाएगा. इसके बाद जूनियर डाक्टरों ने हड़ताल नहीं करने का फैसला लिया था. लेकिन हड़ताल रद्द करने के तीन हफ्ते बाद भी जूनियर डाक्टर्स की मांगों पर सरकार की तरफ से ध्यान नहीं दिया गया. जूडा अध्यक्ष से जानकारी मिली कि तीन मई को प्रदेश के सभी मेडिकल कालेज की जूनियर डाक्टर्स एसोशिएशन के अध्यक्षों ने मंत्री सारंग से मुलाकात की और समस्या बताई थी. लेकिन मंत्री ने मांगो को गंभीरता से नहीं लिया.
बातचीत की पहल सरकार की ओर से हुई
पहले जब जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल की चेतावनी दी थी तो सरकार की ओर से बातचीत की पहल की गई थी. खुद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग जूनियर डॉक्टर्स से मिलने हमीदिया हॉस्पिटल गए थे. उन्हें ये भरोसा दिया था कि सरकार जल्द उनकी मांगों पर फैसला लेगी. उन्होंने आज कहा कि अभी जैसा संकट है, उसको ध्यान में रखकर काम करना चाहिए. अभी बातचीत चल रही है, हड़ताल जैसी कोई स्तिथि नहीं है.
किन मांगों पर अड़े जूनियर डॉक्टर्स
जूनियर डॉक्टर्स ने सरकार के सामने पांच सूत्रीय मांगें रखी थीं और यह आरोप लगाया था कि वायदा खुद मुख्यमंत्री की ओर से किया गया था. उन्हें एक साल बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं किया जा सका.
पांच सूत्रीय मांगें
सरकार की ओर से 6% सालाना मानदेय बढ़ाने का वायदा पूरा किया जाए.
जूनियर डॉक्टरों के इलाज की बेहतर व्यवस्था की जाए.
कोरोना के दौरान प्रति महीने 10 हज़ार रुपये मानदेय देने का वायदा पूरा किया जाए.
जूनियर डॉक्टर्स को ग्रामीण सेवा के बंधन से मुक्त किया जाए.
कोरोना काल में सेवा के लिए प्रशस्ति पत्र दिया जाए जिसका फायदा सरकारी भर्तियों में मिले.अब देखना होगा कि सरकार और डॉक्टर असोसिएशन मिलकर क्या रास्ता निकलते हैं क्योंकि अपनी मांगों पर अड़े डॉक्टर्स का काम पर लौटना बेहद जरूरी है अभी कोरोना पेशेंट बढ़ते ही जा रहे है.
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