ददन विश्वकर्मा/नई दिल्ली: क्रिप्टेकरेंसी की पूरी एबीसीडी के पहले पार्ट में हमने आपको बताया था. हमारे एक्सपर्ट ने बताया था कि कैसे इसे खरीदा जा सकता है, इसे किसने बनाया था और इसका इस्तेमाल कहां-कहां कर सकते हैं. सीरीज की दूसरी कड़ी में हम इसके लीगल यानी कानूनी पहलू पर बात करेंगे. दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी का चलन बढ़ रहा है. ऐसे में अगर सब कुछ RBI के बनाए हिसाब से चला तो अगले साल भारत के पास अपनी खुद की क्रिप्टोकरेंसी होगी. हमारे एक्सपर्ट गौरव गर्ग और क्षितिज पुरोहित ने क्रिप्टोकरेंसी के लीगल आस्पेक्ट के बारे में हमें बताया है.
 
क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी है. इसे डिजिटल करेंसी भी कहा जाता है. Bitcoin एक क्रिप्टोकरेंसी है. इसे आप छू तो नहीं सकते, लेकिन रख सकते हैं. यानी यह मुद्रा का एक डिजिटल रूप है. यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होती है. यह पूरी तरह से ऑनलाइन होती है. इसे वर्चुअल स्पेस में भी रखा जा सकता है. हालांकि यह अभी भारत में लीगल नहीं है. सरकार ने ऐसी मुद्रा को मंजूरी नहीं दी है. 


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क्रिप्टोकरेंसी भारत में लीगल नहीं है, ऐसा क्यों?
हालांकि कई देशों ने Cryptocurrency को लीगल कर दिया है, वहीं भारत में सरकार का रुख स्पष्ट नहीं है. सरकार इसे रेगुलेट करने पर विचार कर रही है. वहीं कई देशों में यह पूरी तरह से बैन है. कैपिटल वाया ग्लोबल रिसर्च लिमिटेड के रिसर्च हेड गौरव गर्ग बताते हैं कि 2008 की मंदी से उबारने के लिए सतोशी नाकातोशी ने क्रिप्टोकरेंसी का कॉन्सेप्ट लेकर आए थे. मंदी से उबारने के लिए कंपनियों ने लोन दिया, लेकिन इसकी प्रोसेसिंग में 10 फीसदी लग जाता था. लोन लेने के वाले पास 90 फीसदी राशि ही पहुंच पाती थी. इन्हीं सब खामी को देखते हुए क्रिप्टोकरेंसी का जन्म हुआ. जिसमें किसी तरह की कोई प्रोसेसिंग फीस नहीं है. कोई भी कहीं से भी इसके जरिए लेनदेन कर सकता है. गौरव बताते हैं कि इसे रेगुलेट करना थोड़ा मुश्किल है.


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जबकि कैपिटल वाया के ही क्षितिज पुरोहित कहते हैं कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर न तो रोक लगाई गई है और न ही पूरी तरह से खुला रखा गया है. भारत क्रिप्टो करेंसी के व्यापार के लिए एक नया कानून पेश करने की योजना बना रहा है. हालांकि रिजर्व बैंक ने धोखाधड़ी को देखते हुए बैन करने की मांग की थी. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों ने मुकदमा दायर किया और मार्च 2020 में जीता लिया. 


सुभाष गर्ग कमेटी की सिफारिश पर क्या है सरकार की राय?
केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग की अध्यक्षता में एक्सपर्ट कमेटी बना दी थी. कमेटी ने 2019 में अपनी सिफारिशों में क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की प्रस्ताव रखा था. अब सरकार का मानना है कि सुभाष गर्ग की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशें पुरानी हो गई हैं. क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाए अब नए सिरे से नियम बनाने बनाने की जरूरत है. नई कमेटी क्रिप्टोकरेंसी में इस्तेमाल होने वाले ब्लॉकचेन की तकनीक में बढ़ोतरी की संभावना तलाश करेगी. कमेटी क्रिप्टो को करेंसी के बजाए डिजिटल असेट्स के रूप में रेगुलेट करने के लिए सुझाव भी दे सकती है.


क्या कहा था RBI ने?
क्षितिज ने बताया कि इसी साल मार्च महीने में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने एक इवेंट के दौरान कहा कि केंद्रीय बैंक (RBI) को क्रिप्‍टोकरेंसी (Cryptocurrency) को लेकर कई तरह की चिंता हैं. दास ने कहा, ‘आरबीआई और सरकार, दोनों वित्तीय स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमने सरकार को क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कुछ बड़ी चिंताओं के बारे में बताया है. सरकार इस पर जल्‍द ही कोई फैसला करेगी.’


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सरकार क्‍या कर रही है?
आरबीआई तो स्‍पष्‍ट रूप से क्रिप्‍टोकरेंसी को लेनदेन के माध्‍यम के तौर पर वैधता देने के पक्ष में नहीं है. सरकार ने अभी तक अपना पक्ष साफ नहीं किया है. क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए सरकार ने ‘क्रिप्‍टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ के नाम से एक बिल पेश करने का प्रस्‍ताव दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के माने तो इस बिल में क्रिप्‍टोकरेंसी (Cryptocurrency Bill) से जुड़े किसी भी काम को गैर-कानूनी बनाने का प्रावधान है. लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि आखिर कब तक इसे संसद में पेश किया जाएगा. हालांकि Bitcoin की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए सरकार का रुख भी नरम पड़ गया है. 


रेगुलेट करने में क्या परेशानी है?
इस सवाल के जवाब में गौरव बताते हैं कि चूंकि क्रिप्टोकरेंसी में किसी तरह कोई एजेंसी नहीं है, मध्यस्थता नहीं है. ऐसे में इसे रेगुलेट करना पाना थोड़ा मुश्किल है. हां, अगर रेगुलेट कर भी लिया तो कानूनी दायरे में लाना और भी मुश्किल है. इसके पीछे की वजह है कि इस करेंसी को ट्रैक ही नहीं किया जा सकता है. कोई बाउंडेशन नहीं है तो सरकार को ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को इसे रेगुलेट करने के लिए WTO, WHO जैसी ग्लोबल बॉडी की जरूरत पड़ेगी. क्योंकि यह शेयर मार्केट जैसा नहीं है जहां, ट्रेड करने के लिए इन्वेस्टर्स की जानकारी देनी पड़ती है. यह ओपन मार्केट है. 


क्या भारत का इंसान यहां से बाहर क्रिप्टो ख़रीद सकता है?
हां, बहुत आसान है. क्योंकि इसके लिए किसी तरह की कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं है. सबकुछ ऑनलाइन है. पूरा बाजार खुला है तो इस करेंसी को कोई भी कहीं भी खरीद सकता है. हां, लेकिन कुछ बैंक पैसे की एवज में क्रिप्टोकरेंसी खरीदने व्यापार को इजाजत फिलहाल नहीं देती हैं, क्योंकि भारत में यह पूरी तरह रेगुलाइज नहीं हैं.


सरकार की ख़ुद की क्रिप्टो करेंसी बनाने का मतलब क्या है?
बीते महीने RBI और वित्त मंत्रालय कह चुका है कि वे भारत की ख़ुद की डिजिटल करेंसी और उसके विनियमन के लिए क़ानून बनाने पर विचार करेंगे. लेकिन भारत की ख़ुद की डिजिटल करेंसी लाना आसान है. सरकार केवल किसी प्रकार के लेन-देन को एक लीगल टेंडर का दर्जा देना होगा जिसका इस्तेमाल भारत के लोग कर सकेंगे. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साफ़ कर चुकी हैं कि सरकार की योजना क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की नहीं है. असल में सरकार क्रिप्टो करेंसी के आधार वाली तकनीक ब्लॉकचेन को रक्षा कवच देना चाहती है. विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल लीगल टेंडर को जारी करना चुनौतीपूर्ण है.


क्रिप्टोकरेंसी का अवैध इस्तेमाल, कितना सच?
इसके जवाब में गौरव कहते हैं कि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. वैध-अवैध हर कारोबार में होता है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा कम है. लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है. चूंकि क्रिप्टो ब्लॉकचेन पर आधारित है तो इसमें 50 फीसदी सही लोग तो हैं ही. 20-25 फीसदी गलत इरादे से इसमें होंगे. लेकिन जैसे-जैसे लोग बढ़ेंगे, मैनुपुलेशन होगा तो फ्रॉड इस्तेमाल भी कम होता जाएगा. भारत में 80 लाख निवेशकों की संख्या है. 10 हजार करोड़ रुपये निवेश की राशि है. 


साइबर क्राइम में क्यों इस्तेमाल हो रही है?
इसका सबसे बड़ा नुक़सान तो यही है कि ये वर्चुअल करेंसी है और यही इसे जोखिम भरा सौदा बनाती है. इस करेंसी का इस्तेमाल ड्रग्स सप्लाई और हथियारों की अवैध खरीद-फरोख्त जैसे अवैध कामों के लिए किए जाने का डर भी है. इस पर सायबर हमले का खतरा हमेशा बना रहता है. वर्चुअल करेंसी है, इसलिए इसके जरिए अवैध कारोबार हो सकता है. लोग सरकार से बचना चाहते हैं. इसे हैक किया जा सकता है. चोरी के डेबिट, क्रेडिट कार्ड खरीदे जा सकते हैं, आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इनका इस्तेमाल हो सकता है. इसलिए सरकार इसे रेगुलेट करना चाहती है. 


क्रिप्टोकरेंसी की किन देशों में क्या है स्थिति?
गौरव बताते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग पर चीन और थाइलैंड जैसे देशों में प्रतिबंध लगा हुआ है. चाइना ने जब प्रतिबंध लगाया था तो bitcoin के रेट तेजी से गिर गए थे. उसके बाद अब थाईलैंड में भी इसपर प्रतिबंध लगा दिया गया है. थाई सिक्‍योरिटी और एक्‍सचेंज कमीशन (SEC) ने क्रिप्‍टोकरेंसी और नॉन-फन्जिबल टोकन (NFTs) पर अत्‍यधिक सट्टेबाजी की चिंता जताते हुए इन पर प्रतिबंध लगा दिया है. सबसे बड़ा काम रसिया में हो रहा है. क्रिप्टोकरेंसी को मैनेज करने के लिए वहां 50-50 वर्गफिट में वेयरहाउस हैं जहां सुपर कंप्यूटर से क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार को मैनेज किया जा रहा है. 


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