बालाघाट: बालाघाट की एक बेटी ने कोरोना काल में फर्ज के लिए एक मिसाल पेश की है. हम बात कर रहे हैं प्रज्ञा घरड़े की, जो पेशे से डॉक्टर हैं और नागपुर के निजी अस्पताल के एक कोविड केयर सेंटर में सेवाएं देती हैं. कुछ दिन पहले डॉ. प्रज्ञा छुट्टी पर अपने घर आईं थीं. लेकिन अचानक संक्रमण बढने के बाद उन्हें छुट्टी के बीच ही सेवाएं देने के लिए नागपुर लौटना था. लेकिन लॉकडाउन के चलते महाराष्ट्र की ओर जाने वाली बसें बंद हैं, जबकि ट्रेनें भी नहीं मिल रहीं थी. महिला नर्स के इस काम पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर तारीफ की है. 



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जब प्रज्ञा घरड़े को कोई साधन नहीं मिला तो उन्होंने स्कूटी से ही बालाघाट से नागपुर तक का सफर तय करने की ठानी. इस फैसले को लेकर परिजनों ने पहले आपत्ति जताई, लेकिन फर्ज के लिए प्रज्ञा का जज्बा देख बाद में परिजनों ने सहमति दे दी.बस फिर क्या था प्रज्ञा सुबह स्कूटी से नागपुर के लिए निकल गईं और दोपहर तक 180 किमी का सफर तय कर लिया. नागरपुर पहुंचने के बाद से ही उन्होंने कोविड के मरीजों का उपचार शुरू कर दिया.


जज्बे को सलाम
बालाघाट की इस साहसी बेटी बताया कि वह नागपुर में प्रतिदिन 6 घंटे एक कोविड अस्पताल में सेवा देती हैं. जहां वे आरएमओ के पद पर कार्यरत हैं. इसके अलावा प्रतिदिन शाम की पाली में भी एक अन्य अस्पताल में सेवाएं देती हैं. उन्हें लगभग रोज 12 घंटे से अधिक समय तक पीपीई किट पहनकर काम करना पड़ता है.


180 किलोमीटर का सफर तय किया
डॉ. प्रज्ञा ने बताया कि उन्हें स्कूटी चलाकर बालाघाट से नागपुर पहुंचने में लगभग 180 किमी की दूरी तय करनी पड़ी. इसमें करीब 7 घंटे का समय लगा. उन्होंने बताया कि तेज धूप और गर्मी के साथ में अधिक समान होने से थोड़ी असुविधा जरूर हुई. रास्ते में भी कुछ खाने-पीने को नहीं मिला, हालांकि वह दोबारा अपने काम पर लौट गईं, उन्हें इस बात की संतुष्टि है.


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