नई दिल्लीः भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण की शुरुआत 16 जनवरी से हो रही है. यह दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीनेशन ड्राइव (India's Covid Vaccination Drive) होगी. केंद्र सरकार इसके जरिए अपनी एक और प्रमुख योजना की शुरुआत करना चाहती है. यह योजना है ''यूनिक हेल्थ आईडी'' (Unique Health Identity) जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 15 अगस्त के मौके पर लालकिले की प्राचीर से की थी. सरकार की ऐसी प्लानिंग है कि कोविड वैक्सीनेशन के लिए पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड देने वालों को फौरन ही यूनिक हेल्‍थ आईडी (UHID) जेनरेट करके दे दिया जाएगा. 


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एक बार यूएचआईडी जेनरेट हो गया तो उस व्‍यक्ति के हेल्‍थ रिकॉर्ड्स डिजिटली मेंटेन होंगे और सरकारी रिकॉर्ड का हिस्‍सा बन जाएंगे. फिर उस व्यक्ति को दुनिया भर के स्वास्थ्य संबंधी कागजात लेकर डॉक्टर के यहां जाने की जरूरत नहीं होगी. वह सिर्फ अपना यूएचआईडी कार्ड दिखाएगा और डॉक्टर के सामने कम्प्यूटर में व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री खुलकर आ जाएगी. आपके दिमाग में प्रश्न उठ रहे होंगे कि ये यूएचआईडी क्या है, आप इसका इस्तेमाल कैसे कर सकेंगे और इसका फायदा क्या होगा? तो हम आपके इन प्रश्नों के उत्तर नीचे दे रहे हैं...


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यूनिक हेल्थ आइडेंटिटी कार्ड से क्या फायदा होगा?
नेशनल डिजिटल हेल्‍थ मिशन (National Digital Health Mission) के तहत देश के हर नागरिक को आधार कार्ड की तरह डिजिटल हेल्थ आईडी दी जाएगी. इस कार्ड में व्यक्ति के सेहत से जुड़ा रिकॉर्ड रहेगा.  एनडीएचएम ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत यूएचआईडी की शुरुआत कर दी है, जो देश के 6 राज्यों में चल रही है. कोरोना वैक्सीनेशन ड्राइव के दौरान यूएचआईडी को और व्यापक स्तर पर ले जाने की योजना है. 


नेशनल डिजिटल हेल्‍थ मिशन क्या है?
अब आप सोच रहे होंगे एनडीएचएम क्या है? इस बारे में नीति आयोग ने साल 2018 में केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि देश के नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ा एक डेटाबेस तैयार करने की जरूरत है. इससे हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी नीतियां और योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी, साथ ही लोगों को बेहतर चिकित्सीय सुविधा मुहैया कराने में भी.  यहां बताते चलें कि लगभग सभी विकसित देश अपने नागरिकों के स्वास्थ्य से जुड़ा डेटा एक नेशनल डेटा बेस में रखते हैं.


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इसी को ध्यान में रखकर नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (NDHM) नाम की एक संस्था बनाई गई. ठीक वैसे ही जैसे आधार कार्ड के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) है. एनडीएचएम को यह जिम्मेदारी सौंपी गई कि वह देश के हर नागरिक का एक यूनिक हेल्थ कार्ड बनाए और उससे संबंधित डेटा स्टोर करे. इस कार्ड में व्यक्ति का मेडिकल रिकॉर्ड रहेगा कि उसे स्वास्थ्य संबंधि क्या समस्याएं रह चुकी हैं. वह किस बीमारी से ग्रसित है, लंबे समय से किसी बीमारी के लिए इलाज करवाता रहा है. मतलब व्यक्ति की पूरी मेडिकल हिस्ट्री.
 
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इससे फायदा ये होगा कि अस्पताल जाने पर सिर्फ यूएचआईडी दिखाने के साथ ही डॉक्टरों को आपके स्वास्थ्य की पूरी जानकारी मिल जाएगी और इलाज की प्रक्रिया आसान हो जाएगी. यूएचआईडी में सारी जानकारियां सेहत से ही जुड़ी होंगी और इसके लिए किसी खास डॉक्युमेंट की जरूरत नहीं होगी. आपका सिर्फ आधार कार्ड और मोबाइल नंबर लिया जाएगा. इन्हीं दोनों चीजों से यूएचआईडी बनेगी. 


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क्या नवजातों और बच्चों का भी यूएचआईडी बन सकेगा?
अब सवाल आता है कि क्या तुरंत जन्मे शिशु या फिर बच्चों का भी यूएचआईडी बनवाया जा सकता है. तो इसका जवाब हां हैं. इसके लिए नवजात के जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत होगी. साथ ही दूसरी उम्र के बच्चों के लिए आधार कार्ड और अभिभावक का मोबाइल नंबर चाहिए होगा. जरूरत के समय अस्पताल में जाने पर आईडी के लिए कोई अलग पेपरवर्क नहीं होगा, सिर्फ यूएचआईडी देना होगा और आपकी सेहत से जुड़ी सारी जानकारी डिजिटली उपलब्ध होगी.


कहां से बनेगा यूएचआईडी?
कोई भी अस्पताल, पीएचसी या फिर कोई हेल्थकेयर प्रोवाइडर जो नेशनल हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर रजिस्ट्री से जुड़ा हो, किसी शख्स की यूएचआईडी बना सकता है. यहां तक कि ऑनलाइन जाकर लोग खुद भी अपनी आईडी क्रिएट कर सकते हैं. इसके लिए https://healthid.ndhm.gov.in/register पर जाना होगा और फिर सारी प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी. अगर खुद से रजिस्ट्रेशन में कोई समस्या आए तो ndhm@nha.gov.in पर जाकर वहां अपने सवालों के जवाब पा सकते हैं. केंद्र सरकार ने भरोसा दिलाया है कि सेफ्टी और प्राइवेसी को ध्‍यान में रखते हुए व्यक्ति के यूएचआईडी रिकॉर्ड को पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा.


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