नए कृषि कानूनों के समर्थन में उतरीं मशहूर अर्थशास्त्री, बताया किसानों को क्या मिलेगा फायदा
गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत में कृषि और बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत है. नए कृषि कानून खासतौर पर विपणन (मार्केटिंग) से संबंधित हैं.
नई दिल्लीः देश में नए कृषि कानूनों को लेकर विवाद चल रहा है. पंजाब समेत कई राज्यों के किसान इनका विरोध कर रहे हैं. इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने नए कृषि कानूनों का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों में किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि देश के छोटे किसानों को सामाजिक सुरक्षा देना भी जरूरी है.
कृषि क्षेत्र में सुधार की जरूरत
गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत में कृषि और बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत है. नए कृषि कानून खासतौर पर विपणन (मार्केटिंग) से संबंधित हैं. इससे किसानों को अपने उत्पादों के लिए बड़ा बाजार मिलेगा. हमारा मानना है कि इससे किसानों की आय बढ़ सकती है.
छोटे किसानों को सामाजिक सुरक्षा देने की जरूरत
गीता गोपीनाथ ने भारत के नए कृषि कानूनों को लेकर कहा कि जब भी कोई सुधार होता है तो उसकी एक कीमत होती है. ऐसे में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि छोटे और कमजोर किसानों को सामाजिक सुरक्षा मिल सके.
कौन हैं गीता गोपीनाथ
गीता गोपीनाथ अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख अर्थशास्त्री हैं. भारतीय मूल की गीता गोपीनाथ का ताल्लुक भारत के केरल राज्य से है. आईएमएफ के प्रमुख अर्थशास्त्री के पद पर पहुंचने वाली गीता गोपीनाथ दूसरी भारतीय हैं. इनसे पहले आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी इस पद पर रह चुके हैं. गौरतलब है कि गीता गोपीनाथ ने स्नातक तक की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से की है.
गीता गोपीनाथ ने ईटी नाऊ के साथ बातचीत में ये भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना से पहले के हालात में पहुंचने के लिए लंबा वक्त लगेगा और यह 2025 तक ही पुरानी रफ्तार पा सकेगी. गीता गोपीनाथ द्वारा नए कृषि कानूनों के समर्थन पर केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी ट्वीट किया है.
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