इंदौरः इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि जो बुजुर्ग अपने बच्चों का भविष्य बनाने में अपना पूरा जीवन लगा देते हैं, वही बच्चे बुढ़ापे में उन्हें घर से बाहर निकाल देते हैं. दर-दर की ठोकरे खाने वाले इन बुजुर्गों का कोई नहीं होता. यूं तो देश के हर हिस्से में वृद्धा आश्रम भी खुले हैं, सरकारें बेसहारा बुजुर्गों का सहारा बनने का दावा भी खूब करती हैं. देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर से मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है. जिस इंदौर नगर-निगम के कर्मचारियों की बदौलत स्वच्छता के मामले में इंदौर शहर नंबर वन बना था. उन्ही कर्मचारियों का ऐसा अमानवीय चेहरा देखने को मिला देखकर हर कोई हैरान हो रहा है. 


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यह है पूरा मामला 
बताया जा रहा है कि इंदौर नगर-निगम के कर्मचारी एक कचरा गाड़ी में शहर के बेसहारा बुजुर्गों को पशुओं की तरह भरकर उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे छोड़ने आए थे. लेकिन जब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया तो नगर निगम कर्मचारी बुजुर्गों को गाड़ी में वापस भरकर ले गए. इस घटना का एक वीडियो भी वायरल हुआ है. 


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बुजुर्गों को फेकने आए थे निगम के कर्मचारीः स्थानीय 
इस घटना को लेकर एक स्थानीय युवक ने बताया कि इंदौर नगर-निगम के कर्मचारी इन बुजुर्गों को शिप्रा के किनारे छोड़कर भागने वाले थे. बुजुर्गों को इस तरह बैठाया गया था जैसे वे कोई जानवर हो. निगम कर्मचारी इन बुजुर्गों को इधर छोड़कर भागने वाले थे. लेकिन स्थानीय लोगों ने कहा कि इन बुजुर्गों को इस तरह से यहां नहीं छोड़ना चाहिए, जब निगम कर्मचारी नहीं माने तो ग्रामीणों उनका विरोध शुरू कर दिया है. गांव वालों ने जब निगम कर्मचारियों का वीडियो बनाना शुरू किया. तो आनन-फानन में इन बुजुर्गों को फिर से कचरा गाड़ी में बैठाया और वापस लेकर इंदौर चले गए. 


युवक ने बताया इंदौर नगर निगम के तीन कर्मचारी जिस गाड़ी में भरकर बुजुर्गों को शिप्रा के किनारे छोड़ने आए थे, उस गाड़ी का नंबर MPF-7622 था. जब उनसे यह पूछा गया कि इन बुजुर्गों को इंदौर में कहा से उठाया गया है तो इसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और भाग निकले. 


बुजुर्गों को एक-दूसरे के ऊपर लादकर बिठाया गया 
युवक ने बताया कि नगर-निगम के कर्मचारियों ने करीब 15 से 20 बुजुर्गों को गाड़ी में एक-दूसरे के ऊपर लादकर बिठाया था. इनमे से कई लागों की हालत तो इतनी खराब थी की वे ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे. निगम कर्मचारियों ने उन्हें गाड़ी से उठाकर नीचे बिठा दिया था. हालांकि विरोध के बाद स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें फिर से गाड़ी में बिठाया गया और वापस इंदौर भेजा गया है. 


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नंबर-1 बनने की दौड़ 
दरअसल, इंदौर नगर-निगम स्वच्छता सर्वेक्षण में देशभर में 4 बार नंबर-1 स्थान हासिल कर चुका है. ऐसे में अब स्वच्छता में पांचवी बार नंबर-1 बनने की दौड़ कुछ इस कदर बढ़ गई हैं कि फुटपाथ पर बैठने वाले शहर के गरीब बेसहारा बुजुर्ग नगर-निगम की नजर में शहर की सुंदरता के लिए परेशानी बन रहे हैं. जिन्हें उठाकर शहर से बाहर फेका जा रहा है. 


कांग्रेस ने किया विरोध 
इंदौर नगर निगम की गाड़ी से बेसहारा बुजुर्गों को शिप्रा के किनारे छोड़ने का वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेस हमलावर हो गई है. कांग्रेस के प्रवक्ता इमानुएल खान सूरी का कहना है कि यह तो संवेदनहीनता की हद हो गई है, जिन बुजुर्गों को अपने परिवार ने घर से बाहर निकाल दिया, उन बुजुर्गों को स्थानीय प्रशासन ने भी इस तरीके से बेसहारा छोड़ने के लिए शिप्रा नदी के किनारे पहुंचा था, यह बेहद निंदनीय है. स्थानीय लोगों की सतर्कता के चलते वह ऐसा करने में कामयाब नहीं हो पाए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि शहर को नंबर वन बनाने के लिए इस तरह की अशोभनीय हरकत कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी.  


दो कर्मचारियों को किया संस्पेड 
मामला सामने आने के बाद इंदौर नगर निगम के अपर आयुक्त, अभय राजनगांवकर ने निगम कर्मचारियों की गलती स्वीकार की है. मामले में दो कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई है. जबकि मामले की विस्तृत जांच के निर्देश है. अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर अलग-अलग इलाकों में रह रहे बेसहारा बुजुर्गों को गाड़ी के माध्यम से रेन बसेरों में छोड़ा जाता है. लेकिन यह कर्मचारी उन्हें शिप्रा नदी के किनारे छोड़ने गए थे. यह बात बताई जा रही है. ऐसे में इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी.  इस घटना के बाद इंदौर नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर इस तरह बुजुर्गों को शहर से बाहर फेंककर स्वच्छता में नंबर-1 स्थान हासिल करना चाहते हैं. 


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