इंदौर मंदिर हादसा: 36 लोगों की हुई मौत, अब मानवाधिकार आयोग ने 1 महीने में मांगा जवाब
इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में गुरुवार को हुए दर्दनाक हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई. इस मामले में मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पर गैर इदातन हत्या का केस दर्ज किया है तो वहीं इस दुर्घटना पर मप्र मानव अधिकार आयोग ने भी मामला संज्ञान में लिया है.
इंदौर: इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में गुरुवार को हुए दर्दनाक हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई. इस मामले में मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष पर गैर इदातन हत्या का केस दर्ज किया है तो वहीं इस दुर्घटना पर मप्र मानव अधिकार आयोग ने भी मामला संज्ञान में लिया है. मानवाधिकार आयोग ने कलेक्टर और कमिश्नर से एक महीने में जवाब मांगा है.
आयोग ने प्रकरण क्रमांक 2250/इंदौर/2023 दर्जकर कलेक्टर इंदौर और कमिश्नर, नगर निगम, इंदौर से चार बिंदुओं पर एक माह में स्पष्ट प्रतिवेदन मांगा है-
1. घटनास्थल पर बताई गई बावड़ी पर बने निर्माण को अतिक्रमण मानकर कब से उसे हटाये जाने की कार्यवाही नगर निगम द्वारा प्रारंभ की गई थी. ऐसी कार्यवाही इस घटना के पूर्व तक क्यों नहीं हो सकी?
2. क्या इस संबंध में किसी न्यायालय अथवा अन्य किसी शासन के आदेश से ऐसी कार्यवाही न करने के संबंध में कोई स्थगन आदेश दिया गया था.
3. अतिक्रमण और जोखिमपूर्ण परिस्थिति में पायी गई, ऐसी बावड़ी पर किये निर्माण को अतिक्रमण मान्य किये जाने के उपरांत भी इतने विलम्ब तक उसे हटाये जाने की कार्यवाही न किये जाने के संबंध में किन-किन अधिकारियों की जिम्मेदारी रही है? इस संबंध में उनके विरूद्ध विभागीय स्तर पर नगर निगम, इंदौर द्वारा क्या कार्यवाही की गई है?
4. इसके अलावा घटना के संबंध में विस्तृत प्रतिवेदन, मृतकों और घायलों की संख्या, उनके संबंध में शासन स्तर पर स्वीकृत मुआवजा राशि, इलाज आदि की व्यवस्थाओं के संबंध में स्पष्ट जानकारी मांगी है.
1 महीने के अंदर जवाब मांगा
मनावधिकार आयोग ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि ऐसी घटना की जांच कराकर इस संबंध में भी प्रतिवेदन दें. जिससे इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में न हो. इस संबंध में राज्य शासन द्वारा की गई या प्रस्तावित कार्यवाही की भी स्पष्ट जानकारी दें. इस प्रकार के अतिक्रमण और जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में नगर निगम अथवा राज्य शासन की जानकारी में आने और उनको हटाये जाने के संबंध में कार्यवाही प्रारंभ करने के उपरांत भी उसमें अनुचित विलम्ब न हो. इस संबंध में स्पष्ट निर्देश और संबंधित अधिकारियों के उत्तरदायित्व के निर्धारण की सीमा भी स्पष्ट करें. आयोग ने इन बिन्दुओं एक माह के भीतर जवाब मांगा है. प्रकरण की आयोग में अगली सुनवाई चार मई 2023 को होगी.