Khajuraho Lok Sabha Chunav 2024: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए होने वाले 4 चरणों के मतदान में दूसरे चरण के लिए 6 सीटों में 26 अप्रैल, दिन शुक्रवार को वोटिंग हुई. राज्य में कुल 58 फीसदी से ज्यादा वोट पड़े. इस चरण में खजुराहो सीट भी शामिल रही. यहां की जनता ने अपने अधिकार का उपयोग करते हुए लगभग 57 फीसदी मदतान किया. यहां से भाजपा ने गजेन्द्र सिंह पटेल को और कांग्रेस ने पोरलाल खरते को मैदान में उतारा था. इनके भाग्य का फैसला जनता ने कर दिया है. अब परिणाम सबसे के सामने 4 जून को आएंगे. इससे पहले आइये जानते हैं इस सीट के पुराने रिजल्ट, समीकरण और इतिहास.


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8 विधानसभा क्षेत्र
इस लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र चंदला, राजनगर, पवई, गुनौर, पन्ना, विजयराघवगढ़, मुड़वारा और बहोरीबंद आती हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट से वीडी शर्मा ने कुल 8,11,135 वोट हासिल किए थे. इस सीट पर साल 2004 से लगातार भाजपा जीतती आ रही है. यही नहीं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी इस सीट से चार बार सांसद रह चुकी हैं.


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2019 के चुनाव का रिजल्ट
साल 2019 के समय मोदी लहर की पीक आ चुकी थी. इसी के चलते बीजेपी ने उस समय खजुराहो लोकसभा सीट पर बड़ी जीत दर्ज की. इस बार  विष्णु दत्त शर्मा ने पहली बार चुनाव लड़ा और कांग्रेस की कविता सिंह नातीराजा को 4 लाख 92 हजार 382 वोटों से मात दी. इस चुनाव में वीडी शर्मा को 8 लाख 11 हजार 135 वोट प्राप्त मिले थे. 2019 से पहले के 3 चुनाव में बीजेपी को इतनी प्रचंड जीत नहीं मिली थी.

रिटायर्ड IAS हैं आरबी प्रजापति?
ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक उम्मीदवार आरबी प्रजापति रिटायर्ड IAS हैं. कमिश्नर भी रह चुके हैं. यही नहीं प्रशासनिक सेवा से पहले वे असिस्टेंट प्रोफेसर भी रह चुके हैं. प्रजापति लोकसभा चुनाव से पहले शिवपुरी जिले की करैरा सीट से विधानसभा चुनाव लड़े चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. प्रजापति को लंबे समय से अलग बुंदेलखंड राज्य की मांग करते आए हैं.


सीट का इतिहास
1999 के बाद से इस सीट पर बीजेपी ने ही जीत दर्ज की है. कांग्रेस ने इसे लेकर सारी रणनीति अपना के देख ली लेकिन इस सीट पर कब्जा जमाने मे नाकाम रही. सिर्फ1999 के चुनाव की बात ना करें तो 1989 के बाद हर बार कांग्रेस ये सीट हारी है. 1989 से 1999 तक उमा भारती ने यहां से बीजेपी को जीत दिलवाई. ये सीट उत्तर प्रदेश सीमा से सटी हुई है, तो ये समझना बड़ी बात नहीं है कि यहां यादव वोटरों का प्रभाव ज्यादा रहता है.