Knowledge: कब-क्यों और कैसे पड़ती है इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की रेड, कौन देता है इजाजत, जानें
आपके मन में सवाल उठता होगा कि आयकर विभाग छापेमारी के लिए किन बिंदुओं का अध्ययन करता है, कैसे उसे पता चलता है कि छापेमारी कहां और कब करनी है. छापेमारी की इजाजत IT डिपार्टमेंट कौन देता है? तो आइए आपके इन सवालों का जवाब हम आपको देते हैं...
नई दिल्ली: अभी हाल ही में बंद हो चुकी फिल्म प्रोडक्शन कंपनी 'फैंटम फिल्म्स' (Phantom Films) के कर्ताधर्ता रहे मशहूर डायरेक्टर अनुराग कश्यप, विकास बहल, मधु मंटेना और अभिनेत्री तापसी पन्नू के यहां आयकर विभाग का छापा पड़ा है. मामला टैक्स चोरी का है. इस पर विपक्ष का आरोप है कि अनुराग कश्यप और तापसी पन्नू मौजूदा सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलते हैं इसलिए बदले की भावना से उनके यहां IT रेड डलवाई गई है. हालांकि, इससे पहले 2013 में भी अनुराग कश्यप के यहां आयकर विभाग का छापा पड़ चुका है और तब कांग्रेस की सरकार थी.
फैंटम फिल्म्स पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप पहले भी लगे हैं और यह कंपनी शायद इसीलिए बंद भी हो चुकी है. इस बीच आपके मन में सवाल उठता होगा कि क्या आयकर विभाग जैसी संस्था किसी के खिलाफ टैक्स चोरी या आय से अधिक सपंत्ति होने का सबूत हुए बिना, सिर्फ सरकार के इशारे पर छापेमारी कर सकती है? या छापेमारी के लिए IT डिपार्टमेंट किन बिंदुओं का अध्ययन करती है, कैसे उसे पता चलता है कि छापेमारी कहां और कब करनी है. छापेमारी की इजाजत IT डिपार्टमेंट को कौन देता है? तो आइए इन सवालों के जवाब हम आपको देते हैं...
किसके आदेश पर और क्यों पड़ती है IT रेड
वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाली संस्थाएं आयकर विभाग (IT), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ऐसे व्यक्तियों और कंपनियों पर नजर रखती हैं जो इनकम टैक्स नहीं भरते हैं, टैक्स चोरी करते हैं या विदेशी लेन-देन ज्यादा करते हैं. ऐसे लोगों का पूरा इतिहास निकाल कर ये संस्थाएं लिस्ट बना लेती हैं.
इनकी गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए रखती हैं. फिर उचित समय देखकर ऐसे लोगों के घर-दफ्तर, कंपनी पर रेड मारती हैं. इससे पहले आयकर आयुक्त यानी इनकम टैक्स कमिश्नर से इजाजत ली जाती है. कई बार आयकर विभाग को अपने सूत्रों, भेदिये से भी टैक्स चोरी की भनक लगती है. IT डिपार्टमेंट सूचना सही निकलने पर अपने गुप्त सूत्रों को इनाम भी देता है.
ये हैं IT रेड की मुख्य वजहें
गैरकानूनी तरीके से 1 करोड़ से अधिक की धनराशि कैश में रखना, जिसका कोई सोर्स न हो. आय के साधन से अधिक धन हासिल किया हो. भारी मात्रा में सोना-चांदी जिसका कोई लेखा-जोखा ना हो. या बैंक अकाउंट के जरिए भी बड़े ट्रांजैक्शन होते हों, इसकी तुलना में टैक्स रिटर्न कम भरा जाता हो. इस तरह के कुछ केस IT रेड की मुख्य वजह बनते हैं. सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर, आतंकवाद, तस्करी, नशीले पदार्थों, धोखाधड़ी, गैंगस्टर, नकली करेंसी, नकली स्टांप पेपर और अन्य गैर-कानूनी कामों के माध्यम से जमा किए गए बेहिसाब परिसंपत्तियों का साक्ष्य प्राप्त होने पर भी आयकर विभाग खिलाफ कार्रवाई कर सकता है.
कई बार लोग टैक्स बचाने के लिए बैंक खातों, बिल्स, चालान, वाउचर, रिकॉर्ड और दस्तावेजों में हेरफेर करते हैं. इस प्रकार की चालाकी भी आयकर विभाग की नजर में आ जाती है. कई मामलों में तो ऐसा भी देखने में आता है कि यदि किसी ने अपने बेटे या बेटी की शादी में करोड़ों खर्च कर दिए या कोई बहुत महंगी कार, प्रॉपर्टी खरीद ली, तब भी आयकर विभाग का छापा पड़ता है. ऐसे मामले आय से अधिक संपत्ति के होते हैं.
ये है IT रेड की पूरी प्रक्रिया
IT डिपार्टमेंट की रेड हमेशा ऐसे समय पड़ती है जब व्यक्ति को इसका अंदाजा न हो, संभलने का मौका न मिले. रेड की टाइमिंग अक्सर अल सुबह या देर रात होती है. छापा डालने वाली टीम अपने साथ एक वारंट लेकर भी जाती है. रेड के दौरान IT अधिकारियों के साथ पुलिस और कभी-कभी अर्ध सैनिक बल भी उपस्थित रहते हैं, जिससे किसी अनहोनी को टाला जा सके.
यह प्रक्रिया 2 से 3 दिन तक चलती है. इस दौरान घर या दफ्तर के अंदर मौजूद लोग बिना आयकर अधिकारियों की इजाजत के बाहर नहीं जा सकते. सबको एक जगह पर बैठाया जाता है. आयकर अधिकारी घर में रखे पैसों, ज्वैलरी इत्यादि को जब्त करते हैं, दस्तावेज तलाशते हैं. लैपटॉप, फोन, कम्प्यूटर को अपने कब्जे में ले लेते हैं.
आयकर अधिकारी क्या जब्त नहीं कर सकते हैं?
1.आयकर अधिकारी बिक्री के लिए रखे गए माल को जब्त नहीं कर सकते हैं. सिर्फ अपने दस्तावेजों में नोट कर सकते हैं.
2. आयकर अधिकारी किसी ऐसी नकदी को जब्त नहीं कर सकते जिसका लेखा जोखा उस कंपनी या आदमी के पास मौजूद है.
3. स्टॉक के रूप में रखे गए आभूषण हैं और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय उनकी लिस्टिंग हुई है तो आयकर अधिकारी उन्हें जब्त नहीं कर सकते.
4. यदि कोई करदाता संपत्ति कर जमा नहीं कर रहा है तो उसके घर की शादी शुदा महिलाएं अपने पास 500 ग्राम सोना रख सकती हैं. अविवाहित लड़कियां 250 ग्राम और हर आदमी 100 ग्राम सोना अपने पास रख सकता है. आयकर विभाग को रेड के दौरान घर से इस सीमा के अंदर सोना प्राप्त होता है तो उसे जब्त नहीं किया जा सकता.
आयकर छापे के दौरान व्यक्ति के अधिकार क्या होते हैं?
1. आयकर अधिकारियों के पास मौजूद वारंट और उनके पहचान पत्रों की जांच का अधिकार उस व्यक्ति को है जिसके यहां छापेमारी की कार्रवाई होनी है.
2. यदि आयकर टीम महिलाओं की तलाशी भी लेना चाहती है तो सिर्फ महिला आयकर कर्मी ही यह कर सकती है. वह भी सम्मान के साथ.
3. व्यक्तियों/कंपनियों को गवाह के तौर पर मोहल्ले के दो सम्मानित लोगों को बुलाने का अधिकार है. इमरजेंसी होने पर डॉक्टर को बुलाने का अधिकार है.
4. बच्चों का स्कूल बैग चेक कराकर उनको स्कूल भेजने का अधिकार है. लोगों को नियत समय पर खाना खाने का अधिकार है.
5. अपने स्टेटमेंट की एक प्रति आयकर अधिकारियों से मांगने का अधिकार है. क्योंकि यह स्टेटमेंट उस व्यक्ति के खिलाफ इस्तेमाल किया जाएगा.
6. पंचानमा की एक प्रति मांगने का अधिकार है.
इनकम टैक्स रेड पड़ने पर व्यक्ति को क्या नहीं करना होता है?
1. छापा परिसर (घर या ऑफिस) में बिना किसी बाधा और विरोध के आयकर अधिकारियों को घुसने देना.
2. छापा परिसर में किसी भी अनधिकृत व्यक्ति के प्रवेश की अनुमति या प्रोत्साहन नहीं देना.
3. ऑफिस या घर में मौजूद सभी लोगों से अपने रिश्तों के बारे में आयकर अधिकारियों को अवगत कराना.
4. संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज आयकर अधिकारियों को सौंपना. जरूरत पड़ने पर लॉकर की चाबी सौंपना.
5. इनकम टैक्स रेड के दौरान किसी भी दस्तावेज को मिटाने, फाड़ने या नष्ट करने की कोशिश नहीं करना.
6. इनकम टैक्स रेड के दौरान आयकर अधिकारियों के साथ सहयोग करना, शांति पूर्वक सवालों का जवाब देना.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट क्यों और कब भेजता है नोटिस?
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस मिलने पर कई लोगों के हाथ-पांव फूल जाते हैं. टैक्स नोटिस कई कारणों से मिल सकते हैं. इनमें समय से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल न करना, कैलकुलेशन में गलती, सही इनकम की जानकारी नहीं देना इत्यादि शामिल हैं. करदाताओं को अमूमन इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 139(9), 143(1), 143(2), 143(3), 245, 144, 147 और 148 के तहत नोटिस जारी किए जाते हैं.
इनकम टैक्स नोटिस मिलने के मुख्य कारणों में 1. आयकर रिटर्न फाइल करने में देरी, 2. शेयरों से एलटीसीजी की गलत रिपोर्टिंग, 3. फॉर्म 26AS के साथ टीडीएस क्लेम का मेल नहीं खाना, 4. सही इनकम का खुलासा नहीं करना, 5. जीवनसाथी के नाम पर किए गए निवेश को नहीं बताना, 6. गलत रिटर्न फाइल करना, 7. बहुत अधिक मूल्य का ट्रांजैक्शन, 8. आपका टैक्स रिटर्न स्क्रूटनी के लिए चुने जाने पर, 9. टैक्स बकाया होने पर, 10. बीते वर्षों का टैक्स रिटर्न छिपाने पर.
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