धमतरीः महज ढाई साल की उम्र में ही अगर किसी बच्चे का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो जाए तो जरूर उसमें कोई ना कोई ऐसी खास बात होगी. जो उसे दूसरों से अलग बनाती हो. जी हां छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले की ढाई साल की बच्ची ने कुछ ऐसा की कर दिखाया है. दरअसल, वैदिशा नाम की बच्ची दुनिया के 230 देशों की राजधानियों के नाम और उनके झंडे पहचानती है, जिसके चलते उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल हो गया है.


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वैदिशा में है अद्भुत प्रतिभा 
छोटी उम्र में बड़ी उड़ान. इस कहावत को वैदिशा शेरेकर, चरितार्थ कर रही है. दरअसल, वैदिशा मूलत महाराष्ट्र के चंद्रपुर की निवासी है, उसकी उम्र महज 2 साल 9 माह है. वह अपने मम्मी-पापा के साथ धमतरी में रहने वाले अपने रिश्तेदार आशीष और शुभांगी थिटे के घर पहुंची है. जब वैदिशा के परिजनों ने उसकी इस अद्भुत प्रतिभा के बारे में लोगों को बताया तो सब हैरान रह गए. जब उससे कुछ देशों की राजधानियों के नाम पूछे गए तो उसने तुरंत जवाब दे दिए. 


इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है नाम 
वैदिशा के माता पिता ने बताया कि उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है. जबकि उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भेजा जा रहा है. उन्होंने बताया कि वैदिशा के इस प्रतिभा की प्रमुख वजह उसकी शार्प मेमोरी है. इतनी छोटी उम्र में इतने सारे देशों के झंडे पहचान पाना यह अपने आप में अद्भुत और अविस्मरणीय है.



वैदिशा की इस अनोखी विशेषता को गूगल के जरिए भी समझा जा सकता है. आप गूगल पर किसी देश का झंडा सर्च करेंगे तो वैदिशा उस देश और उसकी राजधानी का नाम आपको बता देगी. हालांकि उसकी आवाज में तोतलापन है, लेकिन फिर भी नाम सही बताती है. धमतरी के लोगों ने जब इस बच्ची की प्रतिभा को देखा तो सब हैरान रह गए. क्योंकि इतनी छोटी सी उम्र में इतनी मेमोरी रखना आज के इस दौर में नामुमकिन है. 


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इस तरह इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम 
वैदिशा जब डेढ़ साल की थी, तो उसके पिता ने घर में फलों, सब्जियों, पक्षियों और जानवरों के चार्ट लगा दिए थे ताकि वैदिशा उनको देखकर पढ़ना सीखे. उसके पिता ने बताया कि केवल एक दो दिन में ही उसे सब पक्षियों के नाम याद हो गए. तभी उसके पिता को उसकी बुद्धिमत्ता का अंदाजा हो गया था. उसके बाद वैभव शेरेकर ने अपने मोबाइल में विभिन्न देशों, उनकी राजधानियों, उनके झंडों की जानकारी वैदिशा को दिखानी शुरू कर दी. कुछ दिन सिखाने के बाद जब उन्होंने वैदिशा से उनके नाम पूछे तो उसने बिल्कुल सही जवाब दिए. जिसके उन्होंने घर में विभिन्न देशों, उनकी राजधानियों और झंडों के एक चार्ट लगा दिए. जिससे देखकर वैदिशा ने उनके नाम याद करना शुरू कर दिया. जब उसे सारे नाम याद हो गए तो उनके पिता ने इसकी जानकारी दूसरे लोगों को दी. जिसके बाद उसका टेस्ट लिया गया. टेस्ट में पास होने के बाद उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ. 


राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया
वैदिशा का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज होने की वजह से उसे हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया था. वैदिशा के पिता वैभव शेरेकर चंद्रपुर के बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत हैं. वैदिशा के पिता ने कहा उसकी इस प्रतिभा के चलते वह उसे आगे अच्छी पढ़ाई कराना चाहते हैं, ताकि उनकी बेटी आगे बढ़ सके. 


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