Lok Sabha Election Result: देश के सातवें और आखिरी चरण के तहत मतदान हो रहा है. मतदान के बाद 4 जून का रिजल्ट आएगा. इसे लेकर लोगों में भारी उत्साह है. सभी पार्टियां अपने प्रत्याशियों के जीत की कामना कर रही हैं. इससे पहले आज यानि कि 1 जून की शाम से एग्जिट पोल के नतीजे आने शुरू हो जाएंगे. अब आपके मन में ये भी सवाल चल रहा होगा कि आखिर एग्जिट पोल होता क्या है. इसकी शुरुआत कैसे हुई थी. अगर आप ये जानना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. 


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क्या होता है एग्जिट पोल?
आपने शायद अनुभव किया होगा कि आप जब पोलिंग बूथ से निकलते हैं तो आपसे पूछा जाता होगा कि आपने किस पार्टी और किस प्रत्याशी को मतदान किया. इसका सर्वे देश की कई एजेंसियां करती हैं. ये सर्वे कई तरह से किया जाता है. जैसे आपको किसकी सरकार पसंद है, आप पीएम की कुर्सी पर किसे देखना चाहते हैं? आपके बूथ पर वोटरों का क्या रूझान रहा, इसके अलावा भी ये एजेंसियां कई तरह के सवाल मतदाताओं से पूछती है. बाद में उसी को आधार बनाकर एग्जिट पोल पेश करती हैं. 


भारत में पहली कब हुआ एग्जिट पोल 
भारत में पहली बार साल 1957 में आम चुनाव में एग्जिट पोल कराया गया था. ये एग्जिट पोल इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन ने कराया था.  हालांकि इसे एग्जिट पोल नहीं कहा गया था. इसके बाद साल 1980 में पहला एग्जिट पोल कराया गया था. इसके अलावा बता दें कि 1996 के लोकसभा चुनाव का एग्जिट पोल पहली बार टीवी पर दिखाया गया था. इसका सर्वे सेंटर फॅार द स्टडी डेवलपिंग सोसाइटीज ने किया था.  बता दें कि इस चुनाव में सर्वे के अनुमान से बीजेपी सत्ता में आ रही थी और फिर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी लेकिन बहुमत न होने की वजह से अटल बिहारी वाजपेयी ने 13 ही दिन में पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.  अगर हम विश्व स्तर की बात करें तो साल 1936 में पहली बार अमेरिका में एग्जिट पोल कराया गया था. 


ये है गाइ़लाइंस 
एग्जिट पोल को लेकर चुनाव आयोग ने गाइडलाइंस भी जारी की है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के तहत कहा गया है कि जब तक वोटिंग खत्म नहीं जाती तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते हैं. यानि की आखिरी चरण की वोटिंग का लोगों को इंतजार करना पड़ता है. अगर कोई भी इससे पहले एग्जिट पोल दिखाता है तो निर्वाचन आयोग उसे 2 साल की सजा के साथ जुर्माना लगा सकता है.