`कोरोना को इस गांव से लगता है डर`, वज़ह जानकर हो जाओगे हैरान
आखिरकार क्या कारण है, इस गांव में जो कोरोना संक्रमण इस गांव से दूरी बनाए हुए हैं. जानने के लिए हमारी टीम पहुंची इस गांव.
मुरैना: मुरैना जिले में जहां एक ओर कोरोना संक्रमण से लोगों के बचाव के लिए प्रशासन एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है. धीरे-धीरे संक्रमण शहर से लेकर गांव तक पहुंच रहा है. ऐसे में एक गांव के लोगों ने कोरोना को हराने की ठान रखी है. गांव वालों के प्रयास से संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में अभी तक गांव में एक भी मरीज सामने नहीं आया है. अब यह गांव कोरोना की तीसरी लहर से निबटने के लिए भी तैयार बैठा है. ज़ी मीडिया की टीम ने गांव में पहुंचकर ये जानने की कोशिश की कि आखिर ऐसा क्या किया है कि इस गांव के ग्रामीणों में संक्रमण अभी तक इनको छू नहीं पाया है.
संक्रमण इस गांव से दूरी बनाए हुए
जिले के दिमनी विधानसभा क्षेत्र का यह गांव श्यामपुर खुर्द पंचायत है. 35 सौ से अधिक आबादी वाला यह गांव अभी तक कोरोना से पूर्ण रूप से मुक्त है. कोरोना महामारी संकट में जहां शहरी और ग्रामीण इलाके भी अछूते नहीं है वहीं इस गांव में संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में अभी तक एक भी संक्रमित व्यक्ति सामने नहीं आया है. आखिरकार क्या कारण है, इस गांव में जो कोरोना संक्रमण इस गांव से दूरी बनाए हुए हैं. ज़ी मीडिया ने जब इस गांव में पहुंचकर पड़ताल की तो पाया कि ग्रामीणों की कोविड-19 के प्रति जागरूकता, सतर्कता और प्रयासों के चलते यह संभव हो पाया है.
सहायता समूह बनाया
ग्रामीण यहां आख़िर सुकून की जिंदगी जी रहे है तो इसके पीछे कुछ वजह है ये जानने के लिए हमने गांव के लोगों से बात की तब पता चला कि यहां सुनियोजित तरीके से काम किया जा रहा है. संक्रमण को रोकने की पहल में गांव में महिलाओं का स्व सहायता समूह बनाया गया है जो इस गांव को कोरोना संक्रमण से बचाने में जुटा हुआ है. इन महिलाओं द्वारा गांव में बने पंचायत भवन और स्कूल पर निगरानी रखी जाती है.
करते हैं पहरेदारी
ग्रामीणों द्वारा गांव की मुख्य सड़क पर बैरियर लगाकर बाकायदा समय-समय पर पहरेदारी की जा रही है. ताकि चोरी छुपे गांव के अंदर और बाहर कोई आ और जा ना सके. गांव के प्रवेश द्वारों पर आने-जाने वाले लोगों का तापमान जांचने के बाद ही मास्क लगाकर उन्हें अंदर आने की इजाजत दी जाती है. फिर चाहे वह गांव का दामाद हो या फिर रिश्तेदार हो सभी को इस प्रक्रिया से गुजरना होता है.
सूझबूझ आई काम
खास बात यह है, कि जो कोई रिश्तेदार गांव में रुकनेे आता उसे पहले 14 दिन क्वॉरेंटाइन रहना पड़ता है. इस दौरान वह ना तो घर से निकलेगा और ना ही गांव में घूम सकेगा. संक्रमण सेेेे बचने के लिए कॉविड गाइडलाइन नियमों का सहारा लेते हुए ग्रामीणों ने अपनी सूूूझबुझ, जागरूकता और प्रयासों के जरिए इस भयानक बीमारी कि गांव में एंट्री पर रोक लगा रखी है. ऐसा ही मॉडल अगर अन्य गांवों में लागू हो जाए तो शायद देश में एक भी ऐसी जगह नहीं बचेगी जहां संक्रमण अपने पैर पसार सके. अब बस उम्मीद है कि आस पास के गांव और इस ख़बर को पढ़ने वाले भी ऐसा ही कोई तरीका अपनाकर अपने गांव और शहर को कोरोना से बचाने का भरपूर प्रयास करेंगे.
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