Chhattisgarh News: यहां पेड़ पर पत्तों से ज्यादा लगते हैं आम, इतने फल देख हैरान हुए लोग, कई गुना बढ़ गया मुनाफा
छत्तीसगढ़ में वैसे तो कई प्रसिद्ध आम के बगीचे हैं, लेकिन बलरामपुर की संजय गांधी नर्सरी इस वक्त काफी चर्चा में है. यहां 500 आम के पेड़ ऐसे हैं, जिनमें फलों की बंपर पैदावार हुई है. इसे देखने के लिए अब दूर-दूर से लोग आ रहे हैं.
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ का बलरामपुर अपने आम के फलों के लिए काफी प्रसिद्ध है. यहां के आम पूरे प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी पॉपुलर हैं. पिछले कुछ सालों में यहां आम की पैदावार कम देखने को मिल रही है, लेकिन वन विभाग की एक नर्सरी में 500 आम के पेड़ ऐसे हैं, जिसमें पेड़ों पर पत्तों से ज्यादा आम लदे हुए हैं. यह चमत्कार देख अब आस-पास के लोग काफी हैरान हो रहे हैं. साथ इन लोगों में खुशी भी है. यहां से फलों की सप्लाई छत्तीसगढ़ के अलग-अलग शहरों के साथ ही कई अन्य राज्यों में भी हो रही है. इस आम का स्वाद चखने के लिए दूर-दूर से व्यापारी इसे खरीदने भी आ रहे हैं.
हम बात कर रहे हैं राजपुर वन परिक्षेत्र के सेवारी में स्थित वन विभाग के संजय गांधी नर्सरी की. जहां करीब 10 एकड़ की भूमि पर चारों तरफ सिर्फ आम के ही पेड़ हैं. इनमें एस 500 पेड़े ऐसे हैं, जिनमें आम की बंपर पैदावार भी हुई है. वन विभाग हर साल इस नर्सरी की नीलामी करता है. वन समिति के सदस्य इसकी बिक्री पर अच्छा खासा मुनाफा भी कमाते हैं. इस नर्सरी में आम के उम्दा किस्म दशहरी लंगड़ा चौसा आमों की भरमार है. इन आम का स्वाद छत्तीसगढ़ वासियों के साथ-साथ बिहार, झारखंड, उड़ीसा, यूपी और पश्चिम बंगाल के लोग भी चख रहे हैं.
कई लोगों को रोजगार देता है बगीचा
बगीचे के ठेकेदार अरमान अली ने बताया कि इस नर्सरी को जो वन विभाग की समिति नीलामी के तहत लेता है. वह हर साल इसकी देखरेख के लिए इसमें दर्जनों मजदूरों को भी लगाता है. ऐसे में गांव के कुछ लोगों को रोजगार भी मिल जाता है और कुछ लोग कहते हैं कि वह यहां रखवाली करके आम की पैदावार अच्छी किस्म की कैसे करें यह भी सीखते हैं.
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इस शहर में सबसे बड़ा बगीचा
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में राज्य का सबसे बड़ा आम का बगीचा भी स्थित है. इस बगीचे में 800 से ज्यादा प्रजातियों के आम देखने को मिल जाते हैं. मजेदार बात ये है कि इनमें 95 प्रतिशत देसी आम होते हैं. यह आम का बगीचा सीजन में आसपास के ग्रामीणों के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण जरिया बन जाता है. करीब 250 परिवार बगीचे में पैदा होने वाले आम के व्यापार पर निर्भर रहते हैं.