भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में जल्द ही एक हाई सिक्योरिटी लैब की स्थापना होगी, जिसमें वायरस की जीनोम सीक्वेंसिंग के बारे में पता किया जाएगा. लैब का नाम होगा ''नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल हाई सिक्योरिटी लैब'' और इसे केंद्र सरकार की मदद से स्थापित किया जाएगा. इस लैब में पता चलेगा कि कोई वायरस कितना खतरनाक है और उससे लोगों को किस प्रकार का खतरा है. वैज्ञानिकों की टीम भोपाल के इस लैब में वायरस पर रिसर्च करके पूरे देश को अलर्ट भेजेगी.


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बजट में 350 करोड़ रुपए का प्रावधान, भोपाल में जमीन की तलाश शुरू
इस लैब के लिए साल 2021-22 के आम बजट में 350 करोड़ रुपए का प्रावधान मोदी सरकार ने किया है. इस हाई सिक्योरिटी लैब की स्थापना के लिए भोपाल जिला प्रशासन ने जमीन की तलाश शुरू कर दी है. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अफसरों की इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के साथ कई दौर की बैठकें भी हुई हैं. इस लैब में कोरोना के नए स्ट्रेन, इबोला, निपाहा, येलो फीवर के साथ ही अन्य कई वायरसों की जेनेटिक और जिनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी.


भोपाल में इस तरह के लैब की स्थापना मध्य प्रदेश के लिए बड़ी उपलब्धि
हाई सिक्योरिटी लैब के लिए जमीन फाइनल होते ही नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल को इसका आवंटन कर दिया जाएगा. भोपाल में इस तरह के लैब का स्थापित होना मध्य प्रदेश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धी होगी. 


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जांच के लिए दूसरे शहर नहीं भेजने पड़ेंगे सैंपल
हाल ही में जब कोरोना के न्यू स्ट्रेन का पता चला था तो मध्य प्रदेश से करीब 250 से अधिक सैंपल जांच के लिए दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल लैब में भेजना पड़ा था. कुछ खतरनाक वायरसों की जांच के लिए सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेजे जाते हैं. इस लैब खुलने से सैंपलों की जांच भोपाल में ही हो सकेगी.


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