Protem Speaker Gopal Bhargava: मध्य प्रदेश में बीजेपी एक बार फिर से सत्ता संभालने जा रही है. दिग्गजों की मौजूदगी में बीजेपी के मोहन यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली हैं. ऐसे में अब 16वीं विधानसभा के पहले विधानसभा सत्र की शुरुआत होने वाली है. जिसमें सबसे अहम काम होता है  16वीं विधानसभा में चुनकर आए सभी सदस्‍यों को शपथ दिलाने का है. इसके लिए राज्यपाल से मंजूरी ली गई है. जबकि प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी गोपाल भार्गव को सौंपी जा रही है. ऐसे में यहां यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि प्रोटेम स्पीकर होता है क्या है और उनके पास क्या जिम्मेदारियां होती हैं. 


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वरिष्ठ सदस्य को बनाया जाता है स्पीकर 


बता दें कि जब भी नई विधानसभा या लोकसभा गठित होती है तो सदन में सबसे सीनियर नेता को ही प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी दी जाती है. हालांकि यह प्रावधान नहीं है, लेकिन अब तक देश में ऐसा ही होता आया है, इसकी वजह यह होती है कि सीनियर विधायक को संसदीय कार्यप्रणालियों का अच्छा अनुभव होता है. संसदीय मामलों के मंत्रालय के माध्यम से सत्तारूढ़ पार्टी प्रोटेम स्पीकर का नाम राज्यपाल को भेजती हैं, इसके बाद राज्यपाल प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करते हैं, राज्यपाल ही प्रोटेम स्पीकर को शपथ दिलाते हैं. इसके बाद प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाता है. कम से कम एक दो दिन तक शपथ दिलाने का काम किया जाता है, जिसमें सबसे पहले राज्य का सीएम शपथ लेता है 


अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव कराना 


प्रोटेम स्पीकर ही विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव कराता है. जैसे ही अध्यक्ष पद के लिए किसी दूसरे व्यक्ति का चयन होता है तो प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी स्वतः ही समाप्त हो जाती है. क्योंकि जब तक सभी सदस्य सदन की सदस्यता नहीं ले लेते तब तक वह सदन का सदस्य नहीं माना जाता है. मध्य प्रदेश की 16वीं विधानसभा में सबसे सीनियर विधायक होने के नाते गोपाल भार्गव यह जिम्मेदारी निभाएंगे. 


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क्या होती हैं प्रोटेम स्पीकर की शक्तियां 


  • नवनिर्वाचित सदस्यों को सदन की सदस्यता दिलाना.

  • नए अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया भी प्रोटेम स्पीकर कराता है. 

  • विधानसभा का पहला सत्र प्रोटेम स्पीकर ही आयोजित कराता है.


गोपाल भार्गव को बनाया प्रोटेम स्पीकर 


मध्य प्रदेश में 16वीं विधानसभा के गठन की तैयारियां शुरू हो गई है. सत्ताधारी बीजेपी ने प्रोटेम स्पीकर के लिए सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव को इस बार प्रोटेम स्पीकर बनाया है. गोपाल भार्गव सागर जिले की रहली विधानसभा सीट से लगातार 9वीं बार विधानसभा का चुनाव जीते हैं. गोपाल भार्गव 1985 में पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद वह कभी चुनाव नहीं हारे 2003 से लगातार 2018 तक अलग-अलग मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में मंत्री रहे हैं. इसके अलावा 15 महीने की कमलनाथ सरकार के दौरान वह नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. ऐसे में अब वह एक बार फिर नई जिम्मेदारी में नजर आने वाले हैं. 


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