भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने साल 2021-22 के लिए राज्य का बजट पेश कर दिया है. शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल का यह पहला बजट था, साथ ही राज्य का पेपरलेस बजट था, जिसे वित्त मंत्री ने टैबलेट द्वारा पेश किया. बजट में 'मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना' को फिर से शुरू करने की घोषणा वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने की है.


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शिवराज सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना कमलनाथ सरकार के दौरान ठंडे बस्ते में चली गई थी. कमलनाथ सरकार में बजट का हवाला देकर इस योजना को सस्पेंड कर दिया गया था. 15 फरवरी 2020 को जो ट्रेन बुजुर्गों को लेकर तीर्थ दर्शन के लिए जाने वाली थी उसे भी रद्द कर दिया गया था. तब शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि हम सरकार में आएंगे तो अपने बुजुर्गों को फिर से तीर्थ दर्शन कराएंगे.


तत्कालीन मंत्री के इस बयान पर खड़ा हुआ था बवाल
तत्कालीन शिवराज सरकार द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना को कमलनाथ सरकार में सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने बेकार बताया था. ''उनका मानना था कि यह योजना बेकार है, क्योंकि इसमें पैसों की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है. धार्मिक आयोजन करना सरकार का काम नहीं है. मैं सरकार के खर्च पर तीर्थयात्रा के खिलाफ हूं. इसमें खर्च होने वाली राशि शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर लगाया जाना चाहिए.''


सीएम शिवराज ने कही थी ये बात
तत्कालीन मंत्री के इस बयान के बाद मध्यप्रदेश में सियासी बलाव खड़ा हो गया था और सीएम शिवराज ने कहा था कि 'कमलनाथ सरकार भावनात्मक सम्बन्धों को नहीं समझती है. बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन करवाना, जो समर्थ और सक्षम नहीं है एक पवित्र कार्य है. वो हर अच्छे कार्य को बंद कर रहे हैं.''


क्या है मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना
मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना 3 अगस्त 2012 को शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई थी. इस योजना के तहत बुजुर्गों को मुफ्त में तीर्थ दर्शन कराया जाता है. यात्रा के दौरान बुजुर्गों के भोजन, बीमा, चिकित्सा समेत टूरिस्ट गाइड की व्यवस्था भी सरकार करती है. सिर्फ मध्य प्रदेश के वरिष्ठ नागरिक जिनकी उम्र 60 साल या उससे अधिक हो तीर्थ दर्शन योजना का लाभ उठा सकते हैं. इसके अलावा वरिष्ठ नागरिकों के साथ एक व्यक्ति को सहायक के तौर पर निशुल्क यात्रा करने की अनुमति जाती है.


कहां-कहां जा सकते हैं श्रद्धालु
मध्य प्रदेश सरकार इस योजना के अंतर्गत श्रद्धालुओं को बद्रीनाथ, केदारनाथ, जगन्नाथ पुरी, द्वारका, हरिद्वार, अमरनाथ, वैष्णो देवी, शिरडी, तिरुपति बालाजी, अजमेर शरीफ, काशी, अमृतसर, रामेश्वरम, सम्मेद शिखर, श्रवणबेलगोला, वेलागादी चर्च, नागापटनम और पटना साहिब गुरुद्वारा जैसे तीर्थ स्थल शामिल हैं. साथ ही श्रद्धालुओं को चीन में कैलाश मानसरोवर, पाकिस्तान के हिंगलाज देवी मंदिर, पाकिस्तान में ननकाना साहिब, श्रीलंका में सीता मंदिर और अशोक वाटिका, कंबोडिया में अंकोरवाट मंदिर  और पाकिस्तान में करतारपुर साहिब भेजा जाता है.


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