बाढ़ के बाद की तबाही का मंजरः सड़क पर तिरपाल में रहने को मजबूर लोग; बेपटरी जिंदगी को संवारने की चुनौती
बाढ़ में डूबे मवेशियों के शवों से बीमारियां फैलने का खतरा पैदा हो गया है. यही वजह है कि जल्द से जल्द मृत मवेशियों को दफनाने का प्रयास किया जा रहा है.
करतार सिंह राजपूत/मुरैनाः ग्वालियर चंबल संभाग में आई बाढ़ के बाद तबाही के मंजर दिखाई दे रहे हैं. ऐसा ही कुछ हाल मुरैना जिले की पोरसा तहसील के गांव भूपपुरा का है. जहां के लोग बाढ़ के चलते सड़क पर तिरपाल में रहने को मजबूर हैं. एनडीआरएफ द्वारा बाढ़ से बचाए गए लोग बीते 5 दिनों से बिना बिजली और अन्य सुविधाओं के सड़क किनारे रह रहे हैं. कई लोग बीमार हो गए हैं और इलाज की भी कोई सुविधा नहीं है.
लोग कर रहे शिकायत
लोगों का कहना है कि नेताओं और अधिकारियों का काफिला आया था लेकिन बस हालचाल लेकर और औपचारिकता पूरी करके चला गया. लोगों का कहना है कि अधिकारियों ने इनके कैंपों के अंदर आकर इनका दर्द भी नहीं सुना. इलाके के समाजसेवियों द्वारा ग्रामीणों के भोजन की व्यवस्था की जा रही है.
गुस्साए लोगों ने किया चक्काजाम
अशोकनगर तहसील के तुमेंन और कचनार के बीच लोगों ने चक्का जाम कर दिया है. जिन लोगों की फसल और मकान बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, उन्होंने यह चक्का जाम किया है. लोगों की मांग है कि क्षतिग्रस्त मकानों और फसलों का उचित मुआवजा दिया जाए. वहीं चक्का जाम की सूचना पर मौके पर पहुंचे तहसीलदार ने लोगों को समझाया कि अभी सर्वे का काम चल रहा है, जिसका नुकसान हुआ है, उन सभी के नाम जोड़े जाएंगे और उन्हें उचित मुआवजा दिया जाएगा. प्रशासन की तरफ से मिले आश्वासन के बाद लोगों ने जाम हटा दिया है.
बीमारी बढ़ने का खतरा
बाढ़ में डूबे मवेशियों के शवों से बीमारियां फैलने का खतरा पैदा हो गया है. यही वजह है कि जल्द से जल्द मृत मवेशियों को दफनाने का प्रयास किया जा रहा है, अगर इस काम में लापरवाही होती है तो इससे बीमारियां फैल सकती हैं. प्रशासन द्वारा लोगों के घरों की सफाई कराई जा रही है. वहीं चंबल नदी का जलस्तर घटना शुरू हो गया है. सोमवार को यह घटकर 136 मीटर हो गया है.
बेपटरी जिंदगी को पटरी पर लाने का संघर्ष जारी
बाढ़ का पानी उतरने के बाद इसकी भयावहता का मंजर देखने को मिल रहा है. वहीं बाढ़ के चलते बेपटरी हुई जिंदगी को फिर से संवारने में लोग जुट गए हैं. ग्वालियर जिले के डबरा अनुभाग के गांव चांदपुर में बाढ़ के चलते कई मकान ढह गए हैं. लोगों के घरों में रखा गेहूं पूरी तरह से खराब हो चुका है. गृहस्थी का सामान भी टूट चुका है. ऐसे में लोग आंखों में आंसू भरकर फिर से जिंदगी को पटरी पर लाने के संघर्ष में जुट गए हैं.
स्थानीय प्रशासन द्वारा लोगों के घरों से मलबा हटाया जा रहा है और लोगों को खाना मुहैया कराया जा रहा है. साथ ही एक टीम नकुसान का सर्वे करने में जुटी है, ताकि ग्रामीणों को जल्द से जल्द मुआवजा मिल सके.