पुष्पेंद्र चतुर्वेदी/ शहडोल:  मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिले शहडोल ( Shahdol Crime News) में आए दिन सलाखों से दागने की घटनाएं सामने आती रहती हैं. एक बार फिर इसी से जुड़ी घटना सामने आई है. बता दें कि अंधविश्वास के चक्कर में एक महिला ने मासूम को सलाखों से दगवा दिया था. जिसके गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां पर उसका इलाज चल रहा था, लेकिन गंभीर रूप से घायल बच्चे ने दम तोड़ दिया. 


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क्या है मामला 
पूरा मामला जिले के बंधवा का है. यहां पर 1 महीने 15 दिन के बच्चे को सलाखों से दागा गया था. उसके पेट में कई जगह दागने के निशान है. बच्चे को जिला चिकित्सालय के पीआईसीयू में भर्ती कराया गया था. बताया जा रहा है कि हर्षलाल बैगा (पिता) की पत्नी रामबाई बैगा अपने 1 माह 15 दिन के बच्चे राजन को लेकर अपने मायके बकेली गई हुई थी. जहां पर बच्चे की तबीयत खराब हो गई थी. पेट में सूजन आने की वजह से बच्चे का इलाज कराने की बजाय बच्चे की मां ने गांव की ही महिला को बुला कर इलाज कराने ले गई था. बताया जा रहा था कि दाई ने गर्म चूड़ियों से बच्चे के पेट में 12 से अधिक बार दागा था. इसके बाद बच्चे की तबीयत में सुधार न होने पर जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया गया था, जहां पर उसका इलाज चल रहा था लेकिन बच्चे ने दम तोड़ दिया. 


एक और मामला आया था सामने 
इसी दिन एक और मामला सामने आया था. बता दें कि पटासी निवासी रागनी बैगा पिता रामजी बैगा उम्र 3 माह की जिला चिकित्सालय में इलाज के दौरान मौत हो गई. बच्ची की मौत का कारण डॅाक्टरों ने निमोनिया बताया है. इसके अलावा रागनी के पेट में कई निशान भी मिले थे. यह निशान भी दागने के ही हैं. बताया जा रहा था कि बच्ची के पेट में ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां दागने के निशान न हो. मासूम को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी लेकिन गांव में इलाज नहीं मिला जिसके बाद परिजनों ने सलाखों से दगवा दिया था.  बता दें कि शहडोल जिले में लगातार ऐसे मामले सामने आते रहते हैं.