MP News: जिसे मरा हुआ समझकर परिवार ने कर दी थी तेरहवीं, वो 15 साल बाद लौटा जिंदा, दिलचस्प है कहानी
MP News: मध्य प्रदेश (MP News) के बालाघाट से 15 साल पहले एक युवक गायब हो गया था. जिसकी घरवालों ने तेरहवीं कर दी थी. लेकिन अब वो जिंदा मिला है और परिजन उसे घर लाने की तैयारी कर रहे हैं.
आशीष श्रीवास/बालाघाट: एक कहावत है 'विधना ने जो लिख रखा है उसमें बस किसका चलता है', यानि की इस दुनिया में जो लिखा जा चुका है उसको कोई भी नहीं मिटा सकता है, चाहे कितनी भी कोशिश कर ले, चाहे कितना भी बदलाव (Balaghat News) कर ले, बदलाव की वजह से किसी को फायदा होता है तो किसी को नुकसान. इस बदलाव का असर मध्य प्रदेश के बालाघाट (MP News in Hindi) में भी देखा जा रहा है. बता दें कि यहां पर 15 साल बाद एक ऐसा युवक मिला जिसे लोग मृत समझकर तेरहवीं कर चुके थे. युवक के मिलने के बाद घर में खुशी का माहौल है. जानिए कहां और कैसे हुई युवक की पहचान.
हो गया था गायब
पूरा मामला मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले का है. बता दें कि ब्रजलाल बैगा बालाघाट की नक्सल प्रभावित पुलिस चौकी पाथरी के ग्राम पंचायत लहंगाकन्हार के सोमटोला का रहने वाला हैं. जो अपने गांव के कुछ लोगों के साथ 15 साल पहले मजदूरी करने के लिए नागपुर महाराष्ट्र चला गया था. लेकिन मिली जानकारी के अनुसार पता चला है कि कुछ दिनों काम करने के बाद वह भटक गया था, ब्रजलाल बैगा और ग्रामीण परिवेश का होने से उसे ज्यादा समझदारी नहीं थी. जिसके चलते वह इतने दिनों तक केरल,छत्तीसगढ़, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, मसूर सहित अन्य जगह भटकते हुये झारखंड पहुंच गया.
झारखंड पहुंचने के बाद जमशेदपुर में बीमार हालत में भटक रहा था, लेकिन यहां पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सहारा देते हुए उसकी तमाम व्यवस्था की. पिछले 8 महीने से वहां रहते हुए कुछ बोलने में समर्थ हुआ तब उसके बताए अनुसार उन सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आदिवासी समाज के सामाजिक कार्यकर्ताओं से संपर्क किया. जिसके बाद पता चला कि वो मध्य प्रदेश के बालाघाट का निवासी है.
हो चुकी थी तेरहवीं
15 सालों से लापता होने की वजह से बैगा समुदाय के परिजनों ने ब्रजलाल का अंतिम संस्कार कर दिया थापरिजनों को ब्रजलाल को मिलने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी. ऐसे में अब युवक के मिलने से घर पर खुशी का माहौल है. लोग एक दूसरे को बधाई भी दे रहे हैं, उसे वापस बालाघाट लाने के लिए परिजन जमशेदपुर जाने वाले हैं. साथ ही साथ परिजनों ने प्रशासन से आर्थिक सहायता की भी मांग की है. बता दें कि बालाघाट नक्सल प्रभावित इलाके में गिना जाता है.