राष्ट्रगान जन गण मन...के बारे में ये बातें नहीं जानते होंगे आप? जानिए कैप्टन आबिद अली से क्या है नाता
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कहने पर ही कैप्टन राम सिंह के बैंड ने जन गण मन (Jan Gan Man) को मौजूदा धुन से सजाया था. जिसके बाद यह आजाद हिंद फौज का राष्ट्रगान (Rashtragan) बन गया था.
नई दिल्लीः राष्ट्रगान जब भी बजता है तो हर कोई उसके सम्मान में खड़ा हो जाता है. आज राष्ट्रगान को याद करने की वजह ये है कि आज 24 जनवरी के दिन ही साल 1950 में भारत की संविधान सभा ने जन गण मन को देश का राष्ट्रगान घोषित किया गया था. तो आइए जानते हैं राष्ट्रगान से जुड़े कुछ अहम फैक्टस-
गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने साल 1911 में राष्ट्रगान जन गण मन लिखा था.
उसी साल यानी कि 1911 में ये गीत पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में पहली बार इसे सरला देवी चौधरानी ने गाया था.
इसके बाद साल 1919 में खुद गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने आंध्र प्रदेश में एनी बेसेंट थियोसॉफिकल सोसाइटी के अधिवेशन में इसे गाया था.
साल 1941 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज की एक सभा में जन गण मन को गाया गया. नेताजी को यह गीत बेहद पसंद आया.
इसके बाद नेताजी ने ही आजाद हिंद फौज के कैप्टन आबिद अली को जन गण मन के हिंदी अनुवाद की जिम्मेदारी दी थी.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कहने पर ही कैप्टन राम सिंह के बैंड ने जन गण मन को मौजूदा धुन से सजाया था. जिसके बाद यह आजाद हिंद फौज का राष्ट्रगान बन गया था.
11 सितंबर 1942 के दिन जर्मनी के हैंबर्ग शहर में पहली बार भारत के राष्ट्रगान के रूप में जन गण मन को आजाद हिंद फौज ने पहली बार बजाया था.
साल 1947 में देश की आजादी के बाद जब पहली बार लालकिले पर तिरंगा फहराया गया तो तब भी राष्ट्रगान के रूप में जन गण मन की ही धुन बजाई गई थी.
इसके बाद 24 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान सभा ने जन गण मन को आधिकारिक रूप से राष्ट्रगान घोषित किया था.
साल 1945 में एक फिल्म बनी थी हमराही. इस फिल्म में भी जन गण मन का इस्तेमाल हुआ था.