MP News: नीति आयोग ने सोमवार को लंबे इंतजार के बाद गरीबी रेखा रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया कि 2013-14 से लेकर 2022-23 करीब 9 साल में 24.82 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं. बड़ी बात ये हैं कि भारत के तीन राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश में गरीबों की संख्या में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है.


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PM ने की तारीफ 


NITI आयोग के अनुसार भारत में बहुआयामी गरीबी 2013-14 में 29.17 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 11.28 प्रतिशत हो गई, जो 17.89 प्रतिशत अंकों की कमी दर्शाती है. पीएम ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा- 'बहुत उत्साहजनक, समावेशी विकास को आगे बढ़ाने और हमारी अर्थव्यवस्था में परिवर्तनकारी बदलावों पर ध्यान केंद्रित करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हम सर्वांगीण विकास की दिशा में काम करना जारी रखेंगे और हर भारतीय के लिए समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करेंगे'


CM मोहन यादव ने भी की तारीफ 


मध्य प्रदेश में बीते 9 साल में 2 करोड़ 30 लाख लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं.  इस पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर खुशी जाहिर करते हुए लिखा- 'हमारी सरकार अंत्योदय के लिए संकल्पित, डबल इंजन सरकार की बेहतर नीतियों का असर,गरीबों का जीवन स्तर हो रहा बेहतर. पीएम मोदी के मार्गदर्शन, विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्यवन और नागरिकों की सहभागिता से ही यह संभव हुआ'


राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक-
राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर के तीन आयामों के स्तर पर एक साथ अभाव को मापती है, जो 12 सतत विकास लक्ष्यों-संरेखित संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं.


इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं. नीति आयोग का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) गरीबी दर में गिरावट का आकलन करने के लिए अल्किरे फोस्टर पद्धति का उपयोग करता है. हालांकि, राष्ट्रीय एमपीआई में 12 संकेतक शामिल हैं जबकि वैश्विक एमपीआई में 10 संकेतक शामिल हैं.