`छत्तीसगढ़` नाम के पीछे की कहानी, आइए जानते है आखिर कैसे बनी यह पहचान

Chhattisgarh Name: छत्तीसगढ़ की स्थापना साल 2000 में हुई थी, लेकिन इस राज्य का नाम छत्तीसगढ़ की क्यों रखा गया इसके पीछे की कहानी भी दिलचस्प है.

Thu, 02 May 2024-5:30 pm,
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छत्तीसगढ़ में आबादी के आधार पर सबसे बड़ी जनजाति गोंड है. दरअसल, गोंड राजाओं के 36 किले थे. किलों को गढ़ भी कहा जाता है. इस हिसाब से कहा जाता है कि गोंड शासन के दौरान ही राज्य का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा था. 

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गोंड जनजाति के शासन को गोंडवाना साम्राज्य के नाम से जाना जाता था. इसका क्षेत्र महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा और उत्तर प्रदेश  में फैला हुआ था.

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छत्तीसगढ़ को अलग अलग काल में अलग-अलग नाम से बुलाया गया है. मसलन, रामायण काल में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोशल कहा जाता था. वाल्मीकि रामायण में इसका जिक्र उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल के रूप में होता है.

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कालिदास के युग में अवध को उत्तर कोशल और छत्तीसगढ़ को कौशल कहा जाता था. इसी कौशल क्षेत्र से राम की मां और उत्तर कौशल के राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या आती हैं. जिसके चलते छत्तीसगढ़ को भगवान श्रीराम का ननिहाल भी कहा जाता है. 

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छत्तीसगढ़ का जनमानस यह भी तर्क देते हैं कि प्रदेश में चेदी वंशीय राजाओं का राज्य था. इस वजह से छत्तीसगढ़ का क्षेत्र चेदि गढ़ कहलाया. यही चेदि गढ़ भाषा में बिगड़ कर छत्तीसगढ़ हो गया.

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लोगों का यह भी मानना है कि,  राजा जरासंध के कार्यकाल में 36 चर्मकारों के परिवार इस क्षेत्र में आकर बस गए और इन्हीं परिवारों ने छत्तीसघर राज्य की स्थापना की जो बाद में छत्तीसगढ़ कहलाया.

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कलचुरि शासन काल को लेकर भी कहा जाता है कि इस दौरान शिवनाथ नदी के उत्तर में 18 गढ़ रतनपुर शाखा के अंदर थे और शिवनाथ नदी के दक्षिण में 18 गढ़ रायपुर शाखा के अंदर थे.  इन 36 गढ़ों के चलते ही छत्तीसगढ़ को अपना नाम मिला.

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तनपुर के कवी गोपालचंद्र मिश्र ने 1689 में और रतनपुरिहा कवि बाबु रेवाराम ने 1896 में अपनी रचनाओं में छत्तीसगढ़ का नाम लिखा है. लेकिन मुगल काल में छत्तीसगढ़ क्षेत्र के लिए रतनपुर राज्य शब्द का प्रयोग भी हमें देखने को मिलता है.

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