अजीबो- गरीब है छत्तीसगढ़ की मड़वा रस्म, इसलिए है मशहूर
Chhattisgarh Madwa Ritual: छत्तीसगढ़ में विवाह की अजीबो- गरीब परंपरा है. कहीं पर 7 दिन साथ रहने से शादी हो जाती है तो कहीं पर मेले में हाथ पकड़ने से शादी तय हो जाती है. ऐसे ही हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ की मड़वा रस्म के बारे में. यहां पर ये रस्म काफी ज्यादा चर्चित है. आइए जानते हैं इस रस्म में क्या होता है.
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छत्तीसगढ़ अपनी अलग लोक कला और संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में काफी मशहूर है. यहां पर होने वाला विवाह काफी ज्यादा चर्चित होता है. इसे एक परंपरा की तरह मनाया जाता है.
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छत्तीसगढ़ में कई तरह के विवाह होते हैं. यहां पर विवाह पांच दिनों के होते हैं, जिसे तीन तेल या पांच तेल भी कहा जाता है. यहां पर मड़वा रस्म काफी फेमस है.
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पहले बांसों और चार पांच पेड़ के डाल, पत्तों सहित छावनी करके मंडप (मड़वा) बनाया जाता था. इसके लिए बांसों को आंगन की मिट्टी खोदकर गाड़ा जाता है.
लेकिन अब थोड़ा बदलाव आ गया है. अब टीपा (टीन) में बालू डालकर मंडप बनाया जाता हैं. उसके बाद उन बांसों के पास मिट्टी के दो कलश रखे जाते हैं, जिसमें दीपक जलता रहता है.
ऐसा कहा जाता है कि मड़वा में बांस का उपयोग इसलिए करते हैं. क्योंकि बांस लंबा होता हुआ और उसमें गांठ बढ़ते जाता है, वैसे ही परिवार की भी वृद्धि होती है.
शादी के समय जब वर/वधु को हल्दी तेल चढ़ाया जाता है तो नहाडोरी के पश्चात सात बार मंडप में गोल घूमकर वर वधु के हाथ से मंडप के पत्ते को छुवाया जाता है उसके बाद हल्दी नहीं लगाया जाता है.
मड़वा रस्म के बाद अगर लड़का का है तो वो शादी के लिए वारात लेकर जाता है. अगर लड़की की शादी है तो उसके घर पर बारात आती है.