Desi Barat: बैलगाड़ी में बैठकर निकला मॉडर्न दूल्हा, लोग देखते रहे झाबुआ की देसी बारात
Jhabua News: झाबुआ में मॉडर्न जमाने की एक देसी अंदाज की बारात जमकर वायरल हो रहा है. इसमें बैलगाड़ी पर सवार दूल्हा चर्चा का विषय बन गया. आइये कुछ फोटो के साथ जानते हैं इस बारे के बारे में खास जानकारी.
देसी अंदाज वाली बारात
शादियों का सीजन आ गया है. ऐसे में कई तरह के फोटो वीडियो वायरल होंगे. इस बीच झाबुआ से देसी अंदाज वाली एक बारात जमकर वायरल हो रही है. यहां दूल्हा चर्चा का विषय बन गया जो बैलगाड़ी पर चढ़कर अपनी बारात निकाल रहा है.
अनोखी बारात
शादियों के दौरान आपने कई तस्वीरें देखी होंगी जिसमें दूल्हा हेलीकॉप्टर और लग्जरी गाड़ी से बारात लेकर पहुंचता है. मगर आज के आधुनिक जमाने में झाबुआ जिले के पेटलावद की ग्राम पंचायत काजबी के छोटे से गांव लालारुण्डी में एक अनोखी बारात निकाली.
बैलगाड़ी में बारात
लालारुंडी गांव के लोग उस वक्त दंग रह गए जब एक दूल्हा बैलगाड़ी पर सवार होकर अपनी दुल्हन को लेने निकला. इस बारात में 2 बेलगाड़ी थी. पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ बैलगाड़ी पर निकले इस काफिला देखकर हर शख्स की नजर बारात पर टिक गई. इस बारात की सबसे खास बात यह थी कि यह बारात पूरी तरह से महंगी- महंगी गाड़ियों के बजाय बैलगाड़ी से रवाना हुई.
बारात पर टिकी नजर
जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर गांव लालारुंडी के दशरथ निनामा के पुत्र ऋषभ निनामा की शादी ग्राम सुवरपाड़ा में तय हुई थी. दूल्हे ने अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए कुछ अलग करने का विचार किया. इसलिए उसने वर्षो पुराने अंदाज में बैलगाड़ी पर अपनी बारात ले जाने का फैसला किया. जब बैलगाड़ी पर बारात निकाली तो हर शख्स की नजर बारात पर टिक गई.
आधुनिकता की चकाचौंध
ऋषभ ने कहा कि अक्सर देखने में आता है कि हमारे समाज में आधुनिकता की इस चकाचौंध में शादियां बहुत महंगी होती जा रही हैं. लोग दिखावे के लिए दर्जनों महंगी-महंगी गाड़ियां किराए से कर लेते हैं और डीजे के साथ बारात निकालते हैं. इस तरह जो लंबा खर्च शादी में होता है उसका बोझ दूल्हे के पिता पर ही आता है.
संस्कृति की मूल
लोग अपनी मूल संस्कृति को भूलते जा रहे हैं. आधुनिक संस्कृति में रमते जा रहे हैं. इस कारण डीजे के कानफोड़ू साउंड और तामझाम में हमारी संस्कृति विलुप्त होते जा रही है. आजकल यह एक फैशन बन गया है कि जिस भी युवक की शादी होती है उसकी शादी में लंबा काफिला दिखना चाहिए. लेकिन मैंने मेरे पिता पर बोझ न आए इसलिए सभी आधुनिकता की चकाचौंध को त्याग कर पुराने रितिरिवाज से अपनी बारात निकालने का फैसला किया.
काफिले को देखते रहे लोग
बता दें कि दूल्हा खुद एक किसान है. उसके पिता भी किसान ही हैं. उसने अपनी बारात अपने घर से निकाली और दुल्हन के दरवाजे अनोखे अंदाज में पहुंचा. इस काफिले को देखकर गांव के लोग हैरान हो गए. बैलगाड़ी किसान की पहचान होती है. इसीलिए इस तरह बेटे की बारात निकालने का प्लान बनाया गया. बारात लोक नृत्य मंडली ढोल मांदल, झाझ, मजीरा के साथ निकली.