Khajuraho Dance Festival: देश के जाने-माने कथक गुरु की प्रस्तुति ने लगाए चार चांद, राम स्तुति से मंत्रमुग्ध हुए दर्शन
Khajuraho Dance Festival: पर्यटन नगरी खजुराहो में चल रहे 50वें खजुराहो डांस फेस्टिवल की छठवीं शाम आगाज पुणे की प्रेरणा देशपांडे के कथक नृत्य से हुआ. उन्होंने शिव वंदना से नृत्य का आरंभ किया. उसके पश्चात तीनताल में शुद्ध नृत्य की प्रस्तुति दी. इसमें उन्होंने कुछ तोड़े, टुकड़े, परन आदि की पेशकश दी. नृत्य का समापन उन्होंने रामभजन से किया.
देश के जाने-माने कथक गुरु और हाल ही में जिनके निर्देशन में कथक कुंभ में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना ऐसे पंडित राजेन्द्र गंगानी ने भी छठवें दिन समारोह में नृत्य प्रस्तुति देकर चार चांद लगा दिए. उन्होंने शिव स्तुति से नृत्य का शुभारंभ किया. नृत्य भावों से उन्होंने भगवान शिव को साकार करने की कोशिश की.
इसके बाद तीन ताल में शुद्ध नृत्य प्रस्तुत करते हुए उन्होंने तोड़े, टुकड़े, परण, उपज का काम दिखाया और कुछ गतों का काम भी दिखाया. नृत्य का समापन उन्होंने राम स्तुति "श्री रामचंद्र कृपालु भजमन" पर भाव पूर्ण नृत्य पेश कर किया. उनके साथ तबले पर फतेह सिंह गंगानी, गायन में माधव प्रसाद, पखावज पर आशीष गंगानी और सारंगी पर अमीर खां ने साथ दिया.
तीसरी प्रस्तुति में बेंगलुरु से आईं नव्या नटराजन का भरतनाट्यम नृत्य हुआ. उन्होंने वर्णम की प्रस्तुति दी. भरतनाट्यम में वर्णम एक खास चीज है. इस प्रस्तुति में नव्या ने भगवान शिव के तमाम स्वरूपों को नृत्य भावों में पिरोकर पेश किया. उन्होंने नृत्य भावों के साथ लय के ताल मेल और आंगिक संतुलन को बखूबी दिखाया.
राग नट कुरिंजी के सुरों और आदिताल में सजी रचना - "पापना सम शिवम" के साथ रावण द्वारा रचित शिवतांडव के छंदों पर नव्या ने भरतनाट्यम की तैयारी और तेजी दोनों का प्रदर्शन किया. उनके साथ गायन में रघुराम आर, नटवांगम पर डीवी प्रसन्न कुमार, मृदंगम पर पी जनार्दन राव और बांसुरी पर रघुनंदन रामकृष्ण ने साथ दिया.
नृत्य के इस खूबसूरत सिलसिले का समापन बनारस की डॉ. विधि नागर और उनके साथियों के कथक नृत्य से हुई. विधि नागर ने तीव्रा ताल में निबद्ध राग गुणकली में ध्रुपद की बंदिश "डमरू हर कर बाजे" पर बड़े ही ओजपूर्ण ढंग से नृत्य प्रस्तुति दी.
इस पेश्कश में उन्होंने भगवान विश्वनाथ के सौंदर्य को नृत्य भावों में सामने रखा. अगली प्रस्तुति समस्या पूर्ति की थी. इसमें उन्होंने साहित्य और नृत्य का समावेश दिखाया. राग शिवरंजनी की रचना "केहि कारन सुंदरी हाथ जरयो" के जरिए उन्होंने भाव पेश किया.