Women`s Day: भाई गया जॉब करने तो सीखा पिता का व्यवसाय, अब कर रहीं पुरुषों से बेहतर काम

जब गांव व आसपास के युवा इस काम को करने का प्रयास करते हैं तो कुछ ही दिनों बाद पीछे हट जाते हैं. लेकिन भाग्यश्री ने इस काम को पूरी लगन से करने की ठानी और अब वह इस काम में पारंगत हो चुकी हैं.

1/6

एक ही बार में पूरा करना होता है यह काम

भाग्यश्री रतलाम के पिपलोदा गांव में अपने पिता कन्हैयालाल श्रीमाल, माता और दो बहनों के साथ रहती हैं. वह गांव में ही परिवार के साथ मोटर वाइंडिंग का काम करती हैं. यह काम शारीरिक कठोरता वाला है, जिसमें शारीरिक मेहनत के साथ ही काफी समय भी लगता है. वहीं, इसे एक ही बार में पूरा भी करना होता है. ऐसे में जब गांव व आसपास के युवा इस काम को करने का प्रयास करते हैं तो कुछ ही दिनों बाद पीछे हट जाते हैं. लेकिन भाग्यश्री ने इस काम को पूरी लगन से करने की ठानी और अब वह इस काम में पारंगत हो चुकी हैं.

2/6

परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर, भाई चले गया दिल्ली

कन्हैयालाल की तीन बेटियों के अलावा एक बेटा भी है, जो नौकरी करने के लिए दिल्ली गया हुआ है. परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें फिर भी अपने मोटर वाइंडिंग के काम को करना होता है. भाग्यश्री बताती हैं कि उनके पिता पिछले कई सालों से भाई के साथ इस काम को कर रहे थे. फिर भाई नौकरी करने दिल्ली चला गया. ऐसे में पिता को अकेले काम करने में दिक्कतें आ रही थीं.

3/6

पढ़ाई करने के साथ सीखा काम, बटाया पिता का हाथ

भाई के दिल्ली चले जाने के बाद भाग्यश्री ने स्कूल में पढ़ाई के साथ ही वाइंडिंग के कार्य को भी सीखना शुरू किया. शुरुआत में परेशानी आई, लेकिन पिछले तीन सालों से करते हुए अब इस काम को वह बखूबी कर लेती हैं. दो बार बीमार हो जाने के कारण वह 12वीं बोर्ड की परीक्षा पास नहीं कर सकीं, लेकिन इस बार फिर उन्होंने परीक्षा देने की तैयारी कर ली है.

4/6

काम में लगता है बहुत ज्यादा शारीरिक परिश्रम

उनका मानना है कि इस काम में हार्डवर्क बहुत है, लेकिन अच्छी नौकरी और उच्च पद के इंतजार से तो बेहतर पिता के व्यवसायिक हुनर को ही सीख लिया जाए. ऐसा करने से बाद अगर बड़े स्तर पर असफलता हाथ आती भी है तो वह उन्हें हताश नहीं करेगी. उनका मानना है कि वह अपने हुनर के दम पर भी अपने भविष्य को उज्ज्वल कर सकती हैं.

5/6

पिता ने बेटी के नाम पर ही रखा गैराज का नाम

भाग्यश्री के पिता कन्हैयालाल बताते हैं कि उन्होंने अपनी मोटर वाइंडिंग गैराज का नाम ही भाग्यश्री मोटर वाइंडिंग रखा है. उन्होंने बेटी के जन्म के बाद कंपनी का यह नाम रख दिया था. इस काम में उनकी पत्नी व बाकी बच्चे भी हाथ बटाते हैं लेकिन, भाग्यश्री ने इसमें रूची दिखाई और इसे सीखना शुरू कर दिया. उन्होंने बहुत से लोगों को यह हुनर सीखाया भी, लेकिन सभी ने हुनर सीखने के बाद अपना खुद का काम शुरू कर दिया. ऐसे में एक बेटी के काम में रूची को देख उन्होंने बाकियों को भी यह काम सिखाया. ताकी आगे जाकर वह अपनी जीविका चलाने में अपने आप को सक्षम मानें.

6/6

राजस्थान के लोग भी आते हैं मोटर वाइंडिंग का काम करवाने

भाग्यश्री की मोटर वाइंडिंग कार्य कुशलता को देख न सिर्फ रतलाम बल्कि राजस्थान सीमा के लोग भी मोटर वाइंडिंग कार्य कराने के लिए इनके पास आने लगे हैं. इन लोगों का कहना है कि हम इस तरह के कार्य को पहली बार किसी बेटी को करते देख रहे हैं. इस बेटी की सोच भी बड़ी है कि हम पढ़ाई करें, अच्छे पद और नोकरी का लक्ष्य भी रखें. लेकिन, यदि नौकरी न भी मिले तो अपने पैतृक कार्य को आगे बढ़ाकर उससे हम अपना परिवार चला सकते हैं.

ZEENEWS TRENDING STORIES

By continuing to use the site, you agree to the use of cookies. You can find out more by Tapping this link