Chhattisgarh News: रामनामी समुदाय का खास मेला, पहली हो रहा है आयोजन; यहां देखें खूबसूरत तस्वीरें
Ramnami Mela In Sarangarh Bilaigarh: बिलाईगढ़ में रामनामी समुदाय ने राम जन्म उत्सव के अवसर पर पहली बार बड़े ही श्रद्धा और आस्था के साथ 5 दिवसीय रामराम भजन मेला व संत समागम का आयोजन किया है. ये आयोजन चंदलीडीह में 17 अप्रैल से 21 अप्रैल तक चलेगा. देखें तस्वीरें
बिलाईगढ़ ईलाके के रामनामी समुदाय ने राम जन्म उत्सव के अवसर पर पहली बार बड़े ही श्रद्धा और आस्था के साथ 5 दिवसीय रामराम भजन मेला व संत समागम का आयोजन ग्राम चंदलीडीह में रखा हैं. यह मेला 17 अप्रैल यानी बुधवार को ही शुरू हो गया है जो 21 अप्रैल को महा भंडारा के साथ संपन्न होगा.
मेले शुरू
मेला का प्रथम दिन होने के चलते कलश यात्रा निकाली गई जो रामनामी गुलाराम के कुटिया से निकलकर रामराम भजन स्थल में बनी जैतखंभ तक पहुंची. यहां सात फेरे के साथ मुख्य जैतखाम्भ में कलश चढ़ाया गया.
राम राम लिखे वस्त्र
सारंगढ़-बिलाईगढ़ के छोटे से गांव चंदलीडीह रामनामी समुदाय की ख्याति देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्धि हासिल कर रही हैं. इस समुदाय के राम भगवान के प्रति आस्था और भक्ति किसी से छिपी नहीं हैं. ये अपने घरों में भी राम राम लिखवाते हैं. साथ ही राम राम लिखे वस्त्र धारण करते हैं.
रोम रोम में राम बसते हैं
रामनामी समुदाय के रोम-रोम में बसे रामनाम की पवित्र स्वरूप इनके शरीर में देखे जा सकते हैं. भगवान राम की भक्ति देशभर के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह से की जाती हैं लेकिन इन रामनामियों की भक्ति अनोखे होते हैं. जिनके सिर से लेकर पैर यानी रोम रोम में राम बसते हैं.
122 साल पुरानी परंपरा
रामनामी गुलाराम व उनके सम्प्रदाय की मानें तो 122 सालों से इनकी पुरानी परंपरा हैं जिन्हें इनके सम्प्रदाय सदियों निभाते आ रहें हैं. बताते हैं निर्गुण राम के नाम को अपने हृदय के गहराइयों में जगह दी है. इसीलिए राम नाम को कण-कण में बसाने का काम करते है और मयूर पंख से बने मुकुट पहनते हैं.
इन इलाकों में है आबादी
कहा जाता हैं छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा, मुंगेली, रायगढ और बिलाईगढ़ सहित सारंगढ़ ईलाका में दलित समाज के लोंगों की संख्या ज्यादा हैं. एक छोटे से गांव चारपारा के युवक परशुराम ने 1890 के दशक में रामनामी संप्रदाय की स्थापना की है. इस दौर को दलित आंदोलन के रूप में देखा गया. क्योंकि राम नामी समाज से जुड़ने वालों की संख्या बढ़ने लगी.
तीन तरह के होते हैं लोग
समाज के गुलाराम रामनामी की मानें तो कोई अपने शरीर में राम का नाम गुदवाए तो उन्हीं को रामनामी कहते हैं और माथे पर दो राम नाम गुदवाने वालों को शिरोमणि कहते हैं. पूरे माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को संवार्ग कहते है. शरीर के प्रत्येक हिस्से में राम नाम लिखवाने वाले को नखशिख कहा जाता है.
क्यों लिखवाया शरीर का पर नाम
राम नामियों के सारे शब्द राम होते हैं. इसलिए वे मंदिर नहीं जाते, फिर भी ये मानते है कि राम भगवान इनके कण-कण में बसते हैं. राम इनके सांसों और तन में है. गुलाराम व सम्प्रदाय के लोग कहते हैं. पहले के दौर में दलितों को मंदिरों से दूर रखा गया. कपड़े और कागज में राम लिखवाने से मिटा सकते थे इसलिए उनके पूर्वज ने अपने मस्तक पर ही राम का स्थाई नाम लिखवाया.