सदियों से प्राचीनता के लिए फेमस है उज्जैन, इसलिए कहा जाता है समय से भी पुराना शहर
Ujjain City History: उत्तर भारत में बनारस, पटना और उज्जैन ऐसे शहर हैं, जो भारतीय सभ्यता के शुरुआती दौर से मौजूद हैं. महाभारत और रामायण में उज्जैन का जिक्र आता है, बुद्ध ग्रन्थ इसे शक्ति का केंद्र बताते हैं. उज्जैन को अक्सर समय से पुराना बताया जाता है तो आइए जानते है कि उज्जैन शहर कितना पुराना है.
क्षिप्रा नदी के तट पर बसा उज्जैन हिंदू जैन और बौद्ध तीनों परंपरा में जिक्र होता है. इतिहासकार भी इसको ढाई हजार साल से ज्यादा पुराना बताते हैं.
रामायण में उज्जैन का जिक्र आता है. मान्यताओं की मानें तो भगवान राम पत्नी सीता के साथ उज्जैन आए थे. ऐसा भी माना जाता है कि पिता दशरथ का पिंडदान राम ने क्षिप्रा नदी स्थित रामघाट पर किया था.
महाभारत के युद्ध में भी उज्जयिनी के राजा विंद और अनुविंद के युद्ध में भाग लेने के उल्लेख मिलते हैं. यह भी कहा जाता है कि कृष्ण भाई बलराम और मित्र सुदामा के साथ उज्जैन में गुरु संदीपनी के आश्रम में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आए थे
हिंदू, रामायण और महाभारत उज्जैन को लाखों साल पुराना बताते हैं उस लिहाज से उज्जैन की उम्र भी लाख में हुई. कई इतिहासकार रामायण को 7 हजार साल पुराना और महाभारत को 5 हजार साल पुराना मानते हैं. इस लिहाज से उज्जैन भी हजारों साल पुराना हुआ.
उज्जैन 2600 साल पहले महाशक्ति के रूप में स्थापित हो गया था. यह 16 महाजनपद में से एक अवंती की राजधानी थी. इसको बौद्ध धर्म के लोगों ने उस समय की महाशक्ति बताया था.
पृथ्वी के एक चक्कर लगाने में चन्द्रमा को लगने वाले समय निकालने वाले टॉलेमी ने दो हजार साल पहले उज्जैन को ग्रीक भाषा में "ओज़ेन" कहा था और उस समय के महत्वपूर्ण शहरों में उज्जैन को रखा था.
300 साल पहले भारत का समय भी उज्जैन से तय होता था. वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त और भास्कराचार्य जैसे ज्ञानियों का ठिकाना तो उज्जैन रहा है. ऐसे में उज्जैन को आज भी समय से पुराना शहर कहा जाता है.