Environment Protection: विदिशा में `ऑक्सीजन मैन` का जज्बा, बुलेट पर टैंकर लादकर पेड़ों को देते हैं पानी
Vidisha oxygen man Aseem Sharma: मध्य प्रदेश के विदिशा में असीम शर्मा नामक एक व्यक्ति को `ऑक्सीजन मैन` के नाम से जाने लगा है. वे भीषण गर्मी में अपनी बुलेट पर टैंकर लादकर पेड़ों को पानी देते हैं. उनका मकसद आने वाली पीढ़ियों के लिए शुद्ध हवा और स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित करना है.
ऑक्सीजन मैन
आपने स्पाइडर मैन, आयरन मैन का नाम तो सुना ही होगा, लेकिन मध्य प्रदेश के विदिशा में एक शख्स को 'ऑक्सीजन मैन' के नाम से जाना जाने लगा है.
तपती दोपहरी में पेड़ों को पानी
विदिशा के असीम शर्मा गर्मी की तपती दोपहरी में पेड़ों को पानी दे रहे हैं ताकि पेड़ सूखें नहीं. वो भी अपनी बुलेट से, जिसे उन्होंने जुगाड़ से पानी का टैंकर बनाया है और उसमें एक बड़ी और 4 छोटी पानी की टंकियां फिट करवा ली हैं. यहां तक कि सरकार द्वारा लगवाए पेड़ों को भी यही पानी दे रहे हैं.
पेड़ों को पानी देते हैं
विदिशा में रहने वाले असीम शर्मा इतनी भीषण गर्मी की तपती दोपहर में जब आसमान से आग बरस रही है और पारा लगभग 43 डिग्री तक पहुंच गया है. उस समय ये आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध और ठंडी हवा मिल सके इसके लिए अपने लगाए पेड़ों में पानी दे रहे हैं.
बुलेट को पानी के टैंकर में बदल दिया
इन्हें ऐसा करते देख लोग हैरत में पड़ जाते है क्योंकि इन्होंने अपनी बुलेट मोटरसाइकिल को पानी के टैंकर में बदल दिया है. असीम शर्मा ने अपनी बुलेट को तिपहिया करवाकर उसमें 300 लीटर की टंकी फिट करवाई है.
दोपहर पानी देने निकलते हैं
साथ ही उन्होंने टंकी के आसपास 50= 50 लीटर के बड़े बड़े कंटेनर में पानी भरकर रख लिए हैं. दोपहर 3 बजे के आसपास यह अपने लगाए पौधों में पानी देने निकल पड़ते हैं.
सूख पेड़ो को पानी देते हैं
असीम शर्मा सड़क पर लगे पेड़-पौधों और सूख रहे पेड़ो में भी यह पानी देते हैं.
सभी पौधों को पानी देते हैं
कमाल की बात यह है कि प्रशासन पेड़ काटकर सड़क बनाकर चला गया लेकिन एक ओर पेड़ लगाना भूल गया. तब इन्होंने नव निर्मित सड़क के एक ओर पेड़ लगाए और ये असीम शर्मा उन सभी पौधों में पानी देते हैं.
हमें अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए
असीम शर्मा का दावा है कि उन्होंने शोपीस पेड़ों की जगह पर्यावरण को शुद्ध करने वाले पेड़ लगाए हैं. उनका कहना है कि प्रशासन को दोष देने के बजाय हमें भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए.
रिपोर्ट: दीपेश शाह (विदिशा)