नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में देश को संबोधित किया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने देश में तेजी से बढ़ रहे यूनिकॉर्न की बात की और इस पर खुशी जताते हुए बताया कि देश में यूनिकॉर्न की संख्या 100 हो गई है और यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है. अब जो लोग अर्थव्यवस्था और कारोबारी जगत पर नजर रखते हैं, वह जानते हैं कि यूनिकॉर्न क्या है और देश की अर्थव्यवस्था में इसकी क्या अहमियत है लेकिन बड़ी आबादी ऐसी है, जो इस शब्द से वाकिफ नहीं है. इसलिए आज हम यहां यूनिकॉर्न के बारे में बात करेंगे कि ये क्या है और क्यों प्रधानमंत्री मोदी देश में इनकी बढ़ती संख्या से काफी उत्साहित हैं?


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क्या है यूनिकॉर्न (Unicorn)
आज स्टार्टअप (Startup) का जमाना है और देश-दुनिया में तेजी से नए-नए स्टार्टअप शुरू हो रहे हैं. ऐसे ही किसी स्टार्टअप की मार्केट वैल्यू जब बढ़कर एक बिलियन डॉलर या 7500 करोड़ रुपए हो जाती है तो वेंचल कैपिटल इंडस्ट्री में उसे यूनिकॉर्न (Unicorn) कहा जाता है. साल 2013 में वेंचर कैपिटलिस्ट एलन ली ने स्टार्टअप के लिए यूनिकॉर्न शब्द को चर्चित किया था. भारत में आज इन यूनिकॉर्न कंपनियों की संख्या बढ़कर 100 हो चुकी है, जो भारत में बढ़ते इनोवेशन कल्चर का सबूत है कि अब युवा नौकरी के बजाय अपने नए-नए बिजनेस आइडिया को साकार करने में जुटे हैं. भारत के प्रमुख यूनिकॉर्न में पेटीएम, जोमैटो, स्नैपडील, फ्लिपकार्ट, नाइका आदि का नाम शामिल है. 


साल 2021 में आया Startups की संख्या में उछाल
साल 2015 और उससे पहले देश में गिनती के स्टार्ट अप काम कर रहे थे, जो यूनिकॉर्न की श्रेणी के थे लेकिन 2020 के बाद इनकी संख्या में गजब का उछाल आया है. साल 2021 में देश में सबसे ज्यादा  42 कंपनियां यूनिकॉर्न बनीं और इस साल स्टार्टअप्स को कुल 42 बिलियन डॉलर का भारी-भरकम निवेश मिला. ऐसा अनुमान है कि साल 2025 तक देश में यूनिकॉर्न की संख्या 200 से ज्यादा हो सकती है. भारत की पहली यूनिकॉर्न कंपनी मेक माइ ट्रिप है.


पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है. भारत से आगे सिर्फ चीन और अमेरिका का नाम आता है. चीन में जहां 300 से ज्यादा यूनिकॉर्न काम कर रहे हैं, वहीं अमेरिका में इनकी संख्या 487 है. यूके और इजरायल में स्टार्टअप की संख्या क्रमशः 39 और 53 है. 


बढ़ती अर्थव्यवस्था और निवेश के लिए हैं बेहद अहम
देश में बढ़ते यूनिकॉर्न से एक बात साफ है कि इससे डोमेस्टिक स्टॉक मार्केट में जबरदस्त उछाल आ रहा है और साथ ही भारत में निवेश को भी बढ़ावा मिल रहा है. साथ ही स्टार्टअप के साथ युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है. ये स्टार्टअप देश के लोगों की दिनचर्या पर बड़ा असर डाल रहे हैं और इनकी मदद से लोगों का जीवन स्तर भी बढ़ रहा है. ऑनलाइन पेमेंट में यूपीआई का योगदान, फूड डिलीवरी के लिए जोमैटो और स्विगी जैसे स्टार्टअप की अहमियत से इसका बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है. देश में बढ़ते स्टार्टअप कल्चर से यह उम्मीद बढ़ी है कि हो सकता है कि भविष्य में भारत से भी गूगल,फेसबुक और अमेजन जैसी कंपनियां निकल सकती हैं.


orfonline.org की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में इस वक्त कुल 66 हजार स्टार्टअप काम कर रहे हैं और इनमें से 100 यूनिकॉर्न बन चुके हैं. एक अनुमान है कि साल 2025 तक भारत में स्टार्टअप की कुल संख्या बढ़कर 1 लाख हो जाएगी और इन स्टार्टअप से करीब 35 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही 2025 तक यूनिकॉर्न की संख्या 100 से बढ़कर 200 तक पहुंच सकती है. वहीं इन स्टार्टअप की मार्केट वैल्यू करीब 1 ट्रिलियन डॉलर होने तक पहुंचने की उम्मीद है.  


छोटे शहरों में भी बन रहे यूनिकॉर्न
'मन की बात' कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि अब देश के बड़े महानगरों में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों में भी तेजी से स्टार्टअप कल्चर बन रहा है. बेंगलुरु देश में स्टार्टअप कल्चर का हब माना जाता है लेकिन अब इंदौर, जबलपुर जैसे छोटे शहरों में भी कई स्टार्टअप सफल हो रहे हैं. मध्य प्रदेश की सरकार ने तो स्टार्टअप पॉलिसी पेश की है, जिसमें राज्य में शुरू होने वाले स्टार्टअप को सरकार की तरफ से मदद दी जा रही है. इस पॉलिसी का असर कहें या देश में बढ़ता स्टार्टअप कल्चर, इंदौर के आज करीब 500 स्टार्टअप काम कर रहे हैं. मार्केट रिसर्च प्लेटफॉर्म Tracxn ने यह दावा किया है. इंदौर के प्रमुख स्टार्टअप में शॉपकिराना, बातूनी, सिक्योरिटीबुल्स, उमोजापे आदि का नाम शामिल है.