भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को अपना 63वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर हम आपको मुख्यमंत्री के बचपन और छात्र जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो शायद ही आपने इससे पहले सुनी या पढ़ी होंगी. शिवराज चौहान में नेतृत्व क्षमता है, यह उनके स्कूल के दिनों में ही देखने को मिल गया था. उन्होंने भोपाल के टीटी नगर स्थित मॉडल स्कूल से पढ़ाई की है. इसी स्कूल से एक छात्र नेता के रूप में उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत भी हुई. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

CM Shivraj Singh के जन्मदिन को ऐसे मनाएगी BJP, होर्डिंग या पोस्टर ना लगाने की अपील


शिवराज बचपन में बहुत शरारती थे
शिवराज सिंह के व्यक्तित्व को निखारने में उनके मॉडल स्कूल के शिक्षक और प्रिंसिपल केसी जैन की भूमिका अहम रही है. केसी जैन के मुताबिक स्कूल के दिनों में शिवराज शरारती हुआ करते थे, लेकिन नेतृत्व क्षमता भी काबिले तारीफ थी. वह छात्र जीवन में भी अपने साथियों और सहपाठियों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ करते थे. उनको बचपन से ही किसी के साथ होता अन्याय सहन नहीं होता था. वह हर गलत बात का खुलकर विरोध करते थे. 


स्कूल में छात्रों के बीच लोकप्रिय थे
शिक्षक केसी जैन कहते हैं कि अपनी इसी बेबाकी और बेखौफ अंदाज के चतले शिवराज क्लास के सभी छात्रों के पसंदीदा थे. इसीलिए छात्र संघ चुनाव में सभी छात्रों ने शिवराज का नाम आगे बढ़ाया. उनके लिए सभी ने प्रचार भी किया. वोटिंग के समय सभी छात्रों के पास इत्र की शीशी थी. वोट डालने के कागज पर इत्र की बूंदें डाली गईं. शिवराज ने अपने जीवन का पहला चुनाव टीटी नगर मॉडल स्कूल के छात्र संघ अध्यक्ष का जीता था.


ट्रिप पर हुई थी शिवराज की पिटाई
शिवराज के शिक्षक केसी जैन ने बताया कि बच्चों को लेकर स्कूल से गोवा ट्रिप गई हुई थी. लौटते वक्त सभी स्टूडेंट काफी शरारत कर रहे थे. सुनसान एरिया होने के चलते बच्चों को बार-बार शांत रहने को कहा गया. लेकिन किसी ने नहीं मानी, तब शिवराज को सबसे पहले डांट पड़ी और दो, तीन चांटे भी जड़े. लेकिन उस ट्रिप के दौरान जब गाड़ी का ब्रेक फेल हुआ तो सबसे पहले शिवराज ने ही निडरता दिखाई, जिससे हमारी जान बच सकी थी. 


13 साल की उम्र में RSS से जुड़े 
शिवराज सिंह 2005 से प्रदेश के शीर्ष पद पर बैठे हैं. हालांकि साल 2018 के चुनाव में बीजेपी की हार के बाद  उन्हें सत्ता से हटना पड़ा, लेकिन सिर्फ 15 महीने में ही वो वापस सत्ता पर काबिज हो गए. कई दिन तक चली सियासी चालों और कांग्रेस विधायकों के दलबदल के बाद वो फिर मुख्यमंत्री बन गए थे. शिवराज सिंह का जन्म 5 मार्च 1959 को सिहोर जिले के जैत गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान और मां का नाम सुंदरबाई चौहान है. सिर्फ 13 साल की उम्र में शिवराज सिंह चौहान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ गए थे. साल 1975 में वो मॉडल स्कूल छात्र के संघ के अध्यक्ष बने थे.


एमपी के सबसे ज्यादा बार सीएम बनें
सीएम शिवराज जनप्रतिनिधि के रूप में 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा से विधायक बने. 1991 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से सांसद बनकर लगातार पांच बार सांसद रहे. साल 2006, 2008, 2013 और 2018 में बुधनी विधानसभा से विधायक हैं. इसके बाद शिवराज वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किये गये. नवम्बर 2005 को पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की, इसके बाद दिसम्बर 2008 में दूसरी,  2013 में तीसरी बार 2013 में मुख्यमंत्री बने. हालांकि साल 2018 के चुनाव में बीजेपी की हार के बाद उन्हें सत्ता से हटना पड़ा, लेकिन सिर्फ 15 महीने में ही वो 2020 में वापस सत्ता पर काबिज हो गए. मध्‍य प्रदेश में सबसे ज्‍यादा बार मुख्‍यमंत्री बनने का रिकार्ड शिवराज सिंह के नाम ही है.


हर दिन लगाते हैं एक पौधा
पिछले साल नर्मदा जयंती पर शिवराज ने रोजाना एक पौधा रोपने का संकल्प लिया था. एक साल से ज्यादा बीतने के बाद भी वे इसका पालन करते हैं. मुख्यमंत्री चाहे कहीं भी हों, पौधा जरूर लगाते हैं. इसे लेकर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज भारत के इतिहास में पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने हर रोज एक वृक्ष लगाने का फ़ैसला लिया. कितने भी व्यस्त रहें लेकिन सीएम ने रोज एक पौधा जरूर लगाया है.


WATCH LIVE TV