भिंड: अगर आपसे कोई कहे कि शोले फिल्म का कौन सा डायलॉग आपको याद है तो जाहिर है ''ये हाथ हमको दे दे ठाकुर'' जरूर सुनाएंगे.  इस फिल्म में खूंखार डकैत गब्बर सिंह (अमजद खान), ठाकुर बलदेव (संजीव कुमार) का अपहरण कर लेता हैं और फिर उनके दोनों हाथ काट देता है. 


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शोले फिल्म की यह कहानी जंगल दस्युओं और बीहड़ के लिए बदनाम चंबल के भिंड जिले में असल जिंदगी में ऐसी घटित हो चुकी है. यह बात शोले फिल्म रिलीज होने के 4 साल बाद यानी 1979 की है. आइये जानते है इस असली कहानी में गब्बर कौन था और ठाकुर बलदेव सिंह कौन...?


डकैत ने काट दिए दोनों हाथ और नाक
भिंड के तकपुरा गांव में रहने वाले लाखन सिंह पुत्र नवल सिंह की डकैत छोटे सिंह से कोई जाती दुश्मनी नहीं थी,  लेकिन उनके बहनोई का डकैत से विवाद चल रहा था. डकैत छोटे सिंह ने 1979 में अपने आधा दर्जन साथियों के साथ लाखन को घेर कर उनके दोनों हाथ और नाक काट दी. अपाहिज हुए दस्यु पीड़ित लाखन को शासन ने महज 500 रुपये की पेंशन दी. 


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ऐसे सामने आई लाखन सिंह की कहानी
लेकिन आठ साल बाद वह भी आनी बंद हो गई. पीड़ित लाखन अपनी आर्थिक मदद के लिए प्रशासन से बीते कई वर्षों से गुहार लगा रहे हैं. लेकिन उनकी सुनवाई आज तक नहीं हो सकी है. भिंड में डकैतों के खात्में और पुलिस बहादुरी को दर्शाता संग्रहालय बनाया जा रहा है. इसके लिए भिंड पुलिस अधीक्षक दस्यु पीड़ितो की कहानी एकत्रित कर रहे हैं. इसी क्रम में उनकी मुलाकात लाखन सिंह से हुई.


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